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जीवन

4.5
28

भारती चाँद  की सोलह कलाएँ,बत्तीस  तो मुझ में भी हैं घटता, बढता, छिपता ऐसा ही  मेरा जीवन भी है दाग हैं जैसे उसके मुख पर कुछ मेरे अतंर मन पर भी हैं पडी छाया ना मालूम किसकी कुछ राहु मेरे  सँग भी ...

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लेखक के बारे में
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bharti khanduja

Be beautiful by soul and strong by heart. लिखना, पढना, सीखना, सिखाना मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा है। ईश्वर और इन्सानियत केवल इस पर यकीन है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aabha Kaushik
    16 ഏപ്രില്‍ 2020
    बेहद खूबसूरत भार्ती जी ! वाह्ह्ह भारती जी !
  • author
    Saroj Pal
    25 സെപ്റ്റംബര്‍ 2020
    बहुत सुंदर लिखा आपने 👌✍️
  • author
    Dr Som Kulshrestha
    02 ഒക്റ്റോബര്‍ 2020
    सुन्दर प्रस्तुति
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  • author
    Aabha Kaushik
    16 ഏപ്രില്‍ 2020
    बेहद खूबसूरत भार्ती जी ! वाह्ह्ह भारती जी !
  • author
    Saroj Pal
    25 സെപ്റ്റംബര്‍ 2020
    बहुत सुंदर लिखा आपने 👌✍️
  • author
    Dr Som Kulshrestha
    02 ഒക്റ്റോബര്‍ 2020
    सुन्दर प्रस्तुति