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जवानी से बुढापा (हास्य कविता)

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जवानी में, हसीनों को, पड़ोसिनों को, ताकते, झांकते, मेरी दूर की नजर कमजोर हो गई, और मेरी आँखों पर दूर की नजर का चश्मा चढ़ गया, बुढापे तक, अपनी बीवी को, रंगीन टी वी को, कुछ करीबी को पास से देखते ...

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KOMAL
समीक्षा
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  • author
    Archana Tripathi
    27 अगस्त 2020
    बिलकुल सही कहा आपने बहुत सुन्दर
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    Archana Tripathi
    27 अगस्त 2020
    बिलकुल सही कहा आपने बहुत सुन्दर