वैसे तन तो होता समान , बनावट होती नहीं समान । निखरे तन तो कसरत से , बनावट शारीरिक बनती शान ।। अनुवांशिकता भी तो होती , पीढ़ी दर पीढ़ी वो दिखती । मिलते जुलते वो चेहरे से , परिवार की पहचान लगती ।। ...
शिक्षा - M.A (sociology) , osmania university
सारस्वत सम्मान - विद्यावाचस्पति
" भारत गौरव " उपाधि प्राप्त
पांच पुस्तकों के लेखक
मेरा हैदराबाद में ही निवास है ।
ईश्वर ने हमे प्रकृति दी , हमे इस पृथ्वी पर भेजा ।
क्यों नहीं हम , इस प्रकृति सम्मत जीवन का पूर्ण आनद ले ?
शब्दों की अभिव्यक्ति ही , इंसान की पहचान बनाती है ।
सारांश
शिक्षा - M.A (sociology) , osmania university
सारस्वत सम्मान - विद्यावाचस्पति
" भारत गौरव " उपाधि प्राप्त
पांच पुस्तकों के लेखक
मेरा हैदराबाद में ही निवास है ।
ईश्वर ने हमे प्रकृति दी , हमे इस पृथ्वी पर भेजा ।
क्यों नहीं हम , इस प्रकृति सम्मत जीवन का पूर्ण आनद ले ?
शब्दों की अभिव्यक्ति ही , इंसान की पहचान बनाती है ।
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