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जाती क्यों नही तुम्हारी तरह

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4.6

सुनो इन यादों से भी कहों ना चली जाये तुम्हारी तरह ये बड़ा सताती है मुझे हमारी मुलाकात की तरह ये मुकरती क्यों नही तुम्हारी बात की तरह जाने इनसे रिश्ता क्या है ये साथ है चाँद और रात की तरह मुझसे ये ...