मानव आज विकल है अपने ही करतूतों से । किसी को कुछ न देता हरदम डूबा स्वार्थ में। जिससे तेरा अस्तित्व उसे ही लगा मिटाने में। मिथ्या पथ पैर रखता दौड़े सुख की चाहों में। जहरघोल जड़ में डाले कैसे ...
मैं अपने बारे में क्या लिखूं ? अपनी प्रशंसा नहीं कर सकता हूं। दुनियावी लोग राज बहादुर सिंह" से जानते
मुझे नहीं पता मैं कौन हूं? कहां सेआया हूं?अच्छे लोगों से मिलना, उनसे कुछ सीखना अच्छा लगता है।मै एक शिक्षार्थी हूं।
सारांश
मैं अपने बारे में क्या लिखूं ? अपनी प्रशंसा नहीं कर सकता हूं। दुनियावी लोग राज बहादुर सिंह" से जानते
मुझे नहीं पता मैं कौन हूं? कहां सेआया हूं?अच्छे लोगों से मिलना, उनसे कुछ सीखना अच्छा लगता है।मै एक शिक्षार्थी हूं।
रिपोर्ट की समस्या
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