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जंगली फूल

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मानव आज विकल है अपने  ही करतूतों से । किसी को कुछ न देता हरदम डूबा स्वार्थ में। जिससे तेरा अस्तित्व उसे ही लगा मिटाने में। मिथ्या पथ पैर रखता दौड़े सुख की चाहों में। जहरघोल जड़ में डाले कैसे ...

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लेखक के बारे में
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Raj Bahadur

मैं अपने बारे में क्या लिखूं ? अपनी प्रशंसा नहीं कर सकता हूं। दुनियावी लोग राज बहादुर सिंह" से जानते मुझे नहीं पता मैं कौन हूं? कहां सेआया हूं?अच्छे लोगों से मिलना, उनसे कुछ सीखना अच्छा लगता है।मै एक शिक्षार्थी हूं।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ranjana Gupta "ranjanawrites"
    06 मई 2025
    बहुत सुन्दर शब्दों में पिरोया है आपने अपने विचारों को
  • author
    06 मई 2025
    बहुत सुंदर रचना बेहतरीन 👌👌
  • author
    Rakesh Chaurasia
    06 मई 2025
    वाह बहुत सुंदर रचना लिखी है आपने।
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    Ranjana Gupta "ranjanawrites"
    06 मई 2025
    बहुत सुन्दर शब्दों में पिरोया है आपने अपने विचारों को
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    06 मई 2025
    बहुत सुंदर रचना बेहतरीन 👌👌
  • author
    Rakesh Chaurasia
    06 मई 2025
    वाह बहुत सुंदर रचना लिखी है आपने।