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जांबाज़ इंडिया वाले

4.8
3473

"अरे यार पंडित तुझसे कितनी बार बोला है इस तरह मेरे सामने मुंह लटका कर मत आया कर,,मैंने बोला ना मैं सर से बात कर लूंगा, मैं अपनी छुट्टी की दरख्वास्त रद्द करा के तेरी छुट्टी की बात करता हूँ।।ओके ...

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लेखक के बारे में
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Vandna Solanki

अपनी कल्पनाओं, भावनाओं को लेखनी द्वारा प्रस्तुत करने का प्रयास।पत्रिकाओं ,समाचार पत्रों में लेख,कविता प्रकाशित हुए हैं पर प्रतिलिपि द्वारा संजोने का मौका मिला है।टीम प्रतिलिपि का आभार। कई साझा संग्रह एवं प्रतिलिपि द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान एवं अन्य कई प्रतियोगिताओं में सम्मान प्राप्त हुआ। सोशल मीडिया में सक्रिय भागीदारी एवं कई प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुए।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    15 अगस्त 2019
    इतनी सुन्दर रचना के लिए आपको बधाई वंदना जी।बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने हर चीज़ का वर्णन किया है।और आपका नाम रखने का अंदाज़ ......इंडिया वाले और पंच परमेश्वर .....वो तो सबसे जुदा है 👌👌👌👌👏👏👏👏
  • author
    Mamta Pundir
    19 अगस्त 2019
    बहुत ही सुंदर मार्मिक देशभक्ति पूर्ण दिल को छू लेने वाली अतुलनीय रचना है आपकी, काबिलेतारीफ है आपकी प्रस्तुति
  • author
    विद्या शर्मा
    13 अगस्त 2019
    बिल्कुल सही कहा वंदना जी हमारे सेना का एक जवान दुश्मन के सौ सौ जवानों पर भारी है हमारे जवान कभी भी कर्तव्य पालन से पीछे नहीं होते बहुत ही सुंदर और मार्मिक रचना
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    15 अगस्त 2019
    इतनी सुन्दर रचना के लिए आपको बधाई वंदना जी।बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने हर चीज़ का वर्णन किया है।और आपका नाम रखने का अंदाज़ ......इंडिया वाले और पंच परमेश्वर .....वो तो सबसे जुदा है 👌👌👌👌👏👏👏👏
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    Mamta Pundir
    19 अगस्त 2019
    बहुत ही सुंदर मार्मिक देशभक्ति पूर्ण दिल को छू लेने वाली अतुलनीय रचना है आपकी, काबिलेतारीफ है आपकी प्रस्तुति
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    विद्या शर्मा
    13 अगस्त 2019
    बिल्कुल सही कहा वंदना जी हमारे सेना का एक जवान दुश्मन के सौ सौ जवानों पर भारी है हमारे जवान कभी भी कर्तव्य पालन से पीछे नहीं होते बहुत ही सुंदर और मार्मिक रचना