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जननी माँ# ओवुमनीया

4.8
136

हे जननी माँ , तेरा आँचल कितना बड़ा है। जब जन्म दिया तुने मुझको, मैं आ गई इस धरा पर, बंद थे नन्हे दो नयन, पल पल सुरक्षा का एहसास हुआ, तेरे आँचल में। जब बड़ी हुई, तेरे आँगन में, गलतियां हर बार की, जब भी ...

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लेखक के बारे में
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Vandana Kashyap
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Z
    14 जून 2019
    very nice, meri bhi story padhiye
  • author
    Shourabh Prabhat
    30 जुलाई 2019
    माँ पर लिखी गई किसी भी रचना की समीक्षा तो संभव ही नहीं है.... परंतु आपका लेखन उत्कृष्ट है... सस्नेह अभिनंदन..... कृपया अपने बहुमूल्य समय से कुछ क्षण मेरी रचनाओं को भी अवश्य देॉ
  • author
    11 मई 2019
    बहुत खूबसूरत कविता वन्दना जी! माँ के आँचल से सुखद जगह कोई और हो ही नहीं सकती। आपकी लेखनी ने उस सुख के अहसास को बयां करने में कमाल ही कर दिया है। इस रचना के लिए बधाई आपको!
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    Z
    14 जून 2019
    very nice, meri bhi story padhiye
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    Shourabh Prabhat
    30 जुलाई 2019
    माँ पर लिखी गई किसी भी रचना की समीक्षा तो संभव ही नहीं है.... परंतु आपका लेखन उत्कृष्ट है... सस्नेह अभिनंदन..... कृपया अपने बहुमूल्य समय से कुछ क्षण मेरी रचनाओं को भी अवश्य देॉ
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    11 मई 2019
    बहुत खूबसूरत कविता वन्दना जी! माँ के आँचल से सुखद जगह कोई और हो ही नहीं सकती। आपकी लेखनी ने उस सुख के अहसास को बयां करने में कमाल ही कर दिया है। इस रचना के लिए बधाई आपको!