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जाना ही है।

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तय तो सब कुछ हैं यहा इंसान को तो जाना ही है। जितने पल क्षण के लिए आया यहां तय कर रास्ता एक दिन उसे जाना ही है। सब्र कर धरा पर, ज्ञान की मोती चुन, कर्म का राग धर, जीवन की नाव पर, धीरे धीरे बढ़ कर तरना ...

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लेखक के बारे में
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Prakalp Pandey

Allahabad up

समीक्षा
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  • author
    BRIJ BHOOSHAN KHARE
    02 जून 2018
    बहुत अच्छा लिखा आपने. जीवन का परम सत्य यही है. बहुत अच्छी रचना.
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    BRIJ BHOOSHAN KHARE
    02 जून 2018
    बहुत अच्छा लिखा आपने. जीवन का परम सत्य यही है. बहुत अच्छी रचना.