pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

जल की व्यथा।

5
5

जल की व्यथा। मै भी प्रकृति का अंग ही हूं, क्यों मुझे दुखी तुम करते हो, पारदर्शिता गुण है मेरा, क्यों संदुशित करते हो। आज तिरस्कृत पाता हूं, जब मुझे व्यर्थ तुम करते हो, निष्कर्म मुझे बहता पाकर भी, ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
amit shukla

विधिक परिदृष्य एवं यथार्थ जीवन का विद्यार्थी।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    'ANJANI TIWARI'🇮🇳
    22 मार्च 2020
    Wah wah.... गजब का लिखा गया है।। जल की व्यथा और उसका वर्णन।।👍👌👏👏
  • author
    ज्योति
    23 मार्च 2020
    जल की व्यथा का अति उत्तम वर्णन 👌👌👌👍👍
  • author
    neha neha
    26 मार्च 2020
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    'ANJANI TIWARI'🇮🇳
    22 मार्च 2020
    Wah wah.... गजब का लिखा गया है।। जल की व्यथा और उसका वर्णन।।👍👌👏👏
  • author
    ज्योति
    23 मार्च 2020
    जल की व्यथा का अति उत्तम वर्णन 👌👌👌👍👍
  • author
    neha neha
    26 मार्च 2020