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जय सिया राम शांत करो मन की जिज्ञासा

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जय सिया राम, जय सियाराम करती तुम्हें शत-शत प्रणाम। मगर हे  राम मन में कुछ हैं सवाल उठे जो अब तक है अनुत्तरित रहे। क्या तुम मुझको दोगे इसका जवाब। कहलाते तुम मर्यादा पुरुषोत्तम इस रुप में तुम को शत-शत ...

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लेखक के बारे में
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vimla y jain

मैं विमला वाई जैन उम्र 70साल उदयपुर राजस्थान की निवासी हूं हाल मेरा स्थाई निवास बड़ौदा गुजरात मे है। मैंने कनोडिया कॉलेज जयपुर से बीएससी उदयपुर आरएनटी मेडिकल कॉलेज से पैथोलॉजी में डिप्लोमा लिया है मैंने गुजरात में इंटीरियर गांव में लोगों को सुविधा देने के लिए 1981 में डायग्नोस्टिक पैथोलॉजी लैब विद कार्डियोग्राम चालू करी थी उसके बाद हम बड़ौदा प्रॉपर में आ गए यहां मैंने अपना समय अपने बच्चों के भविष्य के लिए लगाया एक अच्छी होम मेकर बनी मेरे पति डॉक्टर फिजिशियन एंड कार्डियोलॉजिस्ट है उनको भी मेडिकल फील्ड में मदद करी इसी तरह अपनी समय व्यतीत करा बच्चों का भविष्य बनाया। घरेलू जिम्मेदारियों के कारण अपनी लैब ज्यादा दिन ज्यादा चालू नहीं रख पाई । और july19 से आपकी प्रतिलिपि के साथ भी जुड़ गई हूं जो मुझे अपने विचारों को बताने का एक अच्छा मंच दे रहा है इसके लिए मैं प्रतिलिपि की आभारी हूं अब मैं प्रतिलिपि की लेखक हूं स्टोरी मिरर की लिट्ररी जनरल हूं 2022 ऑथर ऑफ द ईयर की विनर हूं ब्लॉगर हूं ईजी कुकिंग ब्लॉगर , स्वरचित लेख ब्लॉगर

समीक्षा
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    21 अक्टूबर 2022
    बहुत भावपूर्ण । ऐसे दो प्रसंग रामायण के श्री राम जी मे प्रश्नवाचक चिन्ह लगाते है शम्बूक वध व सीता परित्याग पर । यहां भी शंका उचित नही, यहां पर भी संचित क्रियमाण प्रारब्ध माना गया है यही अवतारी नरलीला मे भगवान ने प्रमाणित किया कि मनुष्य का किया कर्म छोड़ता नही ।ऐसा न होता तो सोने के हिरण के पीछे राम जी जाते ही नही वे भी अच्छे से जानते थे कि स्वर्णिम मृग होता ही नही ।केवल ये बताया कि मायामृग मारीच ही रामायण रचना ,सीताहरण व रावण विनाश का कारण बना।यही हम सब के साथ घटित होता है ।मै ऐसा ही सोचती हूं ।
  • author
    asha singh
    21 अक्टूबर 2022
    जय श्री राम।बहुत आवश्यक प्रश्न उठाया है आपने।मैने कई राम कथाएं पढ़ीं।सीता के निष्कासन की कथा रामायण में बाद में जोड़ी गई,जब समाज में महिलाओं का स्तर कम होने लगा।तब पुरुषों के दंभ और संकीर्णता के कारण यह परिशिष्ट जोड़ा गया।इसने भारतीय महिलाओं को अपार हानि पहुंचाई और सदियों पीछे ही नहीं धकेल दिया बल्कि भविष्य में पैरों में बेड़ियां डालने का प्रबंध भी कर दिया।
  • author
    Sunita Jha
    21 अक्टूबर 2022
    बिल्कुल सही बात कही है आपने। नारी अत्याचार का ही एक उदाहरण है।लोग चाहे जो भी कहें या न कहे। कुछ बात तो है। आपने बहुत ही अच्छा लिखा है।
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    21 अक्टूबर 2022
    बहुत भावपूर्ण । ऐसे दो प्रसंग रामायण के श्री राम जी मे प्रश्नवाचक चिन्ह लगाते है शम्बूक वध व सीता परित्याग पर । यहां भी शंका उचित नही, यहां पर भी संचित क्रियमाण प्रारब्ध माना गया है यही अवतारी नरलीला मे भगवान ने प्रमाणित किया कि मनुष्य का किया कर्म छोड़ता नही ।ऐसा न होता तो सोने के हिरण के पीछे राम जी जाते ही नही वे भी अच्छे से जानते थे कि स्वर्णिम मृग होता ही नही ।केवल ये बताया कि मायामृग मारीच ही रामायण रचना ,सीताहरण व रावण विनाश का कारण बना।यही हम सब के साथ घटित होता है ।मै ऐसा ही सोचती हूं ।
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    asha singh
    21 अक्टूबर 2022
    जय श्री राम।बहुत आवश्यक प्रश्न उठाया है आपने।मैने कई राम कथाएं पढ़ीं।सीता के निष्कासन की कथा रामायण में बाद में जोड़ी गई,जब समाज में महिलाओं का स्तर कम होने लगा।तब पुरुषों के दंभ और संकीर्णता के कारण यह परिशिष्ट जोड़ा गया।इसने भारतीय महिलाओं को अपार हानि पहुंचाई और सदियों पीछे ही नहीं धकेल दिया बल्कि भविष्य में पैरों में बेड़ियां डालने का प्रबंध भी कर दिया।
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    Sunita Jha
    21 अक्टूबर 2022
    बिल्कुल सही बात कही है आपने। नारी अत्याचार का ही एक उदाहरण है।लोग चाहे जो भी कहें या न कहे। कुछ बात तो है। आपने बहुत ही अच्छा लिखा है।