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जहरीले चाले..

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जहरीले चाले.. कब तक बचा के रखूंगी दिल नादान को उसके हर वक्त जहरीली चालों से हम हर बार मात खा जाते हैं उसकी शतरंज की सभी चालों से...!! ये महफिल भी किसी शतरंज सी जमी है हर तरफ शब्दों की मोहरे ...

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समीक्षा
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  • author
    मनोज चौकीकर
    17 मार्च 2020
    इश्क़ हैं इबादत सा हैं हमारा इस पर कोई रंज नहीं। मोहब्बत की हैं हमनें कोई खेल खेला शतरंज नहीं।। महफ़िल में माना सब दाँव लगाते भी होंगे कभी। मिलों उनसे नहीं जो नाजुक रिश्तों में अतरंग नहीं।।
  • author
    निशा शर्मा
    17 मार्च 2020
    नहीं कंचन जी , आपको कलम मे बिल्कुल भी जहर भरने की कतई जरूरत नहीं है🙏🙏🙏 आपकी लेखनी तो बहुत सरस व मधुर अमृत समान है💐💐💐 👌👌👌👌👌 अपने हस्ताक्षर ठीक कर लें 🙏🙏🙏
  • author
    Amit Sharma "Sharma ji"
    18 मार्च 2020
    Kanchan ji Aap ki har poen pichali se best hoti h ma to yahi kahuga ki aap bhut hi acchi poem writer h
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    मनोज चौकीकर
    17 मार्च 2020
    इश्क़ हैं इबादत सा हैं हमारा इस पर कोई रंज नहीं। मोहब्बत की हैं हमनें कोई खेल खेला शतरंज नहीं।। महफ़िल में माना सब दाँव लगाते भी होंगे कभी। मिलों उनसे नहीं जो नाजुक रिश्तों में अतरंग नहीं।।
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    निशा शर्मा
    17 मार्च 2020
    नहीं कंचन जी , आपको कलम मे बिल्कुल भी जहर भरने की कतई जरूरत नहीं है🙏🙏🙏 आपकी लेखनी तो बहुत सरस व मधुर अमृत समान है💐💐💐 👌👌👌👌👌 अपने हस्ताक्षर ठीक कर लें 🙏🙏🙏
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    Amit Sharma "Sharma ji"
    18 मार्च 2020
    Kanchan ji Aap ki har poen pichali se best hoti h ma to yahi kahuga ki aap bhut hi acchi poem writer h