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जगा हूं आज इतना अब दोबारा सो नहीं सकता...

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जगा हूं आज इतना अब दोबारा सो नहीं सकता सुला दो आज हमको भी मैं कितना जागा हूं अब तक... तेरे मन में ना जाने क्यों मैं अब तक क्यों खटकता हूं मेरा मन भी दुखाया है जिसे हम ने संभाला था... बसें है नाग ...

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लेखक के बारे में

कलम कहे बहुत कुछ...✍️🌱🌹

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pooja joshi
    05 अप्रैल 2022
    बड़ा दर्द है आपकी रचना में ,एक दुःख भी है जो ना किसी से कह सकते हैं ना बता सकते है।
  • author
    Navneet Gill
    13 जुलाई 2020
    बेहतरीन काव्य रचना है आपकी ।👍🏻👌🏻🙏🏻😊
  • author
    Poonam Kaparwan pikku
    12 जुलाई 2020
    बहुत मार्मिक संवेदनाओं से भरी कविता।
  • author
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  • author
    Pooja joshi
    05 अप्रैल 2022
    बड़ा दर्द है आपकी रचना में ,एक दुःख भी है जो ना किसी से कह सकते हैं ना बता सकते है।
  • author
    Navneet Gill
    13 जुलाई 2020
    बेहतरीन काव्य रचना है आपकी ।👍🏻👌🏻🙏🏻😊
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    Poonam Kaparwan pikku
    12 जुलाई 2020
    बहुत मार्मिक संवेदनाओं से भरी कविता।