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जग की रीत विचित्र

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4.7

मंदिर जाते दीन बन बनते महान जो , करत जतन बहु रीत सुजान जग के। शाम भये फिर देख लो उनकी ही बान, सुरा संग वाकी दिखती प्रीत अनोखी । नेता सबकेहितकर बने घूमें गली गली , जगह -जगह पर सबके मिलते गले फिरें ...