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जाग अरे !

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हमने तो अपने गजरों में कितने -कितने अहं पिरोये , हमने तो अपने सपनों में कितने कितने सपन संजोये । पर कुछ अपने काम न आया ,हमने कितना धोखा खाया , अब केवल अपने 'मैं ' है और पीड़ा का गहराता साया । प्राणों ...

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लेखक के बारे में

-जन्म-स्थल -मुजफ्फरनगर [उत्तर -प्रदेश ] -शिक्षा -दिल्ली ,उत्तर प्रदेश ,अहमदाबाद -शै .यो -एम.ए [अंग्रेज़ी .हिन्दी },पी. एच डी [हिन्दी [प्रकाशन ] -टच मी नॉट,चक्र ,अपंग ,अन्ततोगत्वा ,[उपन्यास](हिन्दी सा. अकादमी ) से प्रथम पुरुस्कृत । -एक त्रिशंकु सिलसिला ( काव्य -संग्रह ) [ अप्रकाशित उपन्यास] -महायोग उपन्यास धारावाहिक रूप में ,दिल्ली-प्रेस से सितम्बर 14 से प्रकाशित -सत्रह अध्यायों में समाप्त -समिधा (IN PRESS) - विभिन्न हिन्दी पत्रिकाओं में कहानी,लेख,समीक्षा तथा कविताएँ प्रकाशित -वर्षों से मंच पर काव्य-पाठ एवं संचालन [अन्य कार्य व अनुभव ] - गुजराती व अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद ( कविता ,कहानी ,उपन्यास तथा अन्य विषयों पर पुस्तकें ) -"अहमदाबाद एक्शन ग्रुप" (असाग ) में को -ऑर्डिनेटर के रूप में अनुभव - राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान में (N I D)में हिंदी -अधिकारी " " " " " " " " -अहमदाबाद आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में वर्षों लेखन एवं कार्यक्रम प्रस्तुति -विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में गद्य -पद्य लेखन -'इसरो' ,अहमदाबाद के शै .विभाग (डेकू) के लिए दूरदर्शन के कई कार्यक्रमों व नाटकों का लेखन तथा प्रस्तुति -(अब झाबुआ जाग उठा ) सीरियल का कथानक ,शीर्षक गीत ,संवाद लेखन (68 ) एपिसोड्स ) (भोपाल के लिए ) -नृत्य -नाटिकाओं का लेखन (भोपाल के लिए ) -(ए वोयेग ऑफ़ पीस एंड जॉय) लन्दन में 8 भजनों का लेखन (फ्यूज़न)के लिए - आई .आई .एम (अहमदाबाद )में हिंदी सेल के कार्य में 7 वर्षों तक संलग्न (संलग्न ) -कविता ,कहानी ,उपन्यास लेखन -'हिरण्यगर्भ:'उपन्यास -बाल -गीतों तथा कहानियों का लेखन -'एजुकेशन इनीशिएटिव्स' संस्था में हिन्दी एक्सपर्ट के रूप में संलग्न ,इसके लिए लगभग 70 बाल-कविताओं का गुजराती से हिन्दी में अनुवाद ।

समीक्षा
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    Dotookbaat
    25 अक्टूबर 2015
    सपनों में सपन कैसे संजोये  जाते है ?  साँसों को हो गई सगाई  गलत । ​  मेरे  अनुसार ‘सांसो की हो गई  सगाई’ होना चाहिए  था । ​ परन्तु  कैसी  अजीब सी  कल्पना  है क्या साँसों की भी सगाई होती है ? इसके  आगे उपहास लिया जाता  है ? सब पर ही तो हँसते हम, हमने क्या न प्रयास किया ? किस बात का प्रयास  कि सब पर  और अधिक  हँसते ?  ये कैसी कामना है ? ‘समझबूझ कर हमने तो अपने जीवन को  तंग  घड़ा था’ । ​  ये  ‘तंग घड़ा’ से  अजीब हास्यास्पद अर्थ निकलता है जीवन को ‘घड़े ‘ जैसा  बनाया था या  कवित्री ‘गढा’ लिखने के बजाय  ‘घड़ा’ लिख बैठी ? कवित्री को घड़ा  और  गढा का  अंतर पता होना चाहिए । ​ कुल मिला कर  दिल को न छूने वाली  बहुत  ही  खोखली अर्थविहीन कविता । ​कवित्री का  भाषा ज्ञान कमज़ोर नज़र  आता है । ​
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    मंजू महिमा
    28 अक्टूबर 2015
    सुन्दर भावों के धागे से सुन्दर शब्दों में  पिरोया हुआ एक सुंदर गीत...बधाई, प्रणव जी...
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    मधु सोसी
    20 अक्टूबर 2015
    सुन्दर भाव सुन्दर ता से उतारे गए , "अहम "पर आपका कथन गहन व् दिल तक पहुंचा  | श्रेष्ठ रचना |  
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    Dotookbaat
    25 अक्टूबर 2015
    सपनों में सपन कैसे संजोये  जाते है ?  साँसों को हो गई सगाई  गलत । ​  मेरे  अनुसार ‘सांसो की हो गई  सगाई’ होना चाहिए  था । ​ परन्तु  कैसी  अजीब सी  कल्पना  है क्या साँसों की भी सगाई होती है ? इसके  आगे उपहास लिया जाता  है ? सब पर ही तो हँसते हम, हमने क्या न प्रयास किया ? किस बात का प्रयास  कि सब पर  और अधिक  हँसते ?  ये कैसी कामना है ? ‘समझबूझ कर हमने तो अपने जीवन को  तंग  घड़ा था’ । ​  ये  ‘तंग घड़ा’ से  अजीब हास्यास्पद अर्थ निकलता है जीवन को ‘घड़े ‘ जैसा  बनाया था या  कवित्री ‘गढा’ लिखने के बजाय  ‘घड़ा’ लिख बैठी ? कवित्री को घड़ा  और  गढा का  अंतर पता होना चाहिए । ​ कुल मिला कर  दिल को न छूने वाली  बहुत  ही  खोखली अर्थविहीन कविता । ​कवित्री का  भाषा ज्ञान कमज़ोर नज़र  आता है । ​
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    मंजू महिमा
    28 अक्टूबर 2015
    सुन्दर भावों के धागे से सुन्दर शब्दों में  पिरोया हुआ एक सुंदर गीत...बधाई, प्रणव जी...
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    मधु सोसी
    20 अक्टूबर 2015
    सुन्दर भाव सुन्दर ता से उतारे गए , "अहम "पर आपका कथन गहन व् दिल तक पहुंचा  | श्रेष्ठ रचना |