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जब बरसे बादल

4.4
653

जाने कैसी बूंदे बरसी ,मेरे आँगन में, भींग गया तन मन जीवन सब भींगे सावन में. कजरारे मेघों ने कैसा जादू कर डाला, रिमझिम बूंदों ने, जीवन का, हर पल रंग डाला . शाम सुहानी आती है,सन्देश नया लेकर, सपने ...

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लेखक के बारे में

आत्म कथ्य---मेरी कहानियां जिन्दगी के आसपास साँसें लेती हैं. जीवन के सुख,दुःख, हर्ष विषाद प्रेम की सुन्दरतम अनुभूतियों का दर्पण बन समाज को सच दिखाना ही उनकी सार्थक अभिव्यक्ति है भटके हुए कदमों को उनके सपनों की राह तक पहुंचाना ,और संवेदना के एक नए क्षितिज का निर्माण करना है.

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 सितम्बर 2019
    अतिसुंदर प्रस्तुति बधाई हो जय माता दी कृपया स्नेह स्वरूप मेरी रचना श्रीदुर्गाचरितमानस पढ़ने का कष्ट करे समीक्षा की प्रतीक्षा रहेगी जय माता दी आभार
  • author
    Sunil Shukla
    04 सितम्बर 2018
    बहुत खूब लिखा है। पढ़ कर आनन्द आ गया।👍👍👍👍👍
  • author
    Ritu Sharma
    17 जुलाई 2019
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
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    29 सितम्बर 2019
    अतिसुंदर प्रस्तुति बधाई हो जय माता दी कृपया स्नेह स्वरूप मेरी रचना श्रीदुर्गाचरितमानस पढ़ने का कष्ट करे समीक्षा की प्रतीक्षा रहेगी जय माता दी आभार
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    Sunil Shukla
    04 सितम्बर 2018
    बहुत खूब लिखा है। पढ़ कर आनन्द आ गया।👍👍👍👍👍
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    Ritu Sharma
    17 जुलाई 2019
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति