pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

जायज़

4.5
20930

घटना सन 2006 ई., नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की है। काफ़ी बहस के बाद कूली सौ रूपये में राज़ी हुआ तो मेरे 'साले' फौजी सतपाल सिंह के चेहरे पर हर्ष की लहर दौड़ गई। एक छोटी-सी लोहे की ठेला-गाड़ी में कूली ने दो बक्से, चार सूटकेश और बिस्तरबंद बड़ी मुश्किल से व्यवस्थित किया और बताये गए स्थान पर चलने लगा। फौजी नौकरी में अलग-अलग जगह पोस्टिंग कोई नई बात नहीं है। कभी पंजाब, कभी कश्मीर, कभी मध्य प्रदेश  और अब जोधपुर राजिस्थान में सतपाल सिंह की पोस्टिंग हुई थी। इस बार नई बात यह थी कि और जगहों पर हमारे साले साहब ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

जन्म: 24 जुलाइ 1971, दिल्लीशिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से स्नातकभाषा अधिकार: हिन्दी, उर्दू, गढ़वाली बोली उत्तरांचाली साहित्य संस्थान के संस्थापक कथा संसार में उपसंपादक, आर्ट्स कॉलिंग आर्टिस्ट्स ग्रुप में वाइस-प्रेसिडेंट, आम आदमी पार्टी के सक्रिय सदस्य सम्पादिक पुस्तक: आपकी उड़ान- भाग एक, आम आदमी पार्टी के कवियों की पहली पुस्तक(2013) साहित्यिक लेखन एवं रुचियाँ: कहानी, लघुकथा, गीत, गज़ल, जनक छंद, दोहे, हाइकू, मुक्तक, कुंडलियाँ, छप्पय आदि प्रकाशित कृतियाँ: तीन पीढ़ियाँ: तीन कथाकार(कहानी संग्रह) प्रेमचंद, मोहन राकेश एवं महावीर उत्तरांचाली की 4-4 प्रतिनिधि कहानियाँ, 2007आग का दरिया(ग़ज़ल संग्रह), 2009आग यह बदलाव की(ग़ज़ल संग्रह), 2013मन में नाचे मोर है(जनक छंद संग्रह), 2009, 2014अंतरघट तक प्यास(दोहा संग्रह), 2009बुलंद अशआर(चुनिंदा शेर) 2009 अनेकानेक अन्य सम्पादिक पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    ROHIT KUMAR
    10 नोव्हेंबर 2017
    मेहनत का कोई मूल्य नहीं है आज की तारीख में...
  • author
    Manju Srivastava
    10 नोव्हेंबर 2017
    very nice and true story
  • author
    Savita Singh
    10 नोव्हेंबर 2017
    Agreed.... 100 %
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    ROHIT KUMAR
    10 नोव्हेंबर 2017
    मेहनत का कोई मूल्य नहीं है आज की तारीख में...
  • author
    Manju Srivastava
    10 नोव्हेंबर 2017
    very nice and true story
  • author
    Savita Singh
    10 नोव्हेंबर 2017
    Agreed.... 100 %