सच मानिये पहले का ज़माना ही ठीक था! आजकल के ज़माने से पुराना ही ठीक था! अपने ही नहीं सुनते हैं एक वो भी दौर था, औरों से दिल की बात बताना ही ठीक था! एक दूसरे पर हँसना बिलकुल ही मना था, ...
वाह क्या बात कही आपने सर ,,, सच में जिंदगी की होड़ में जीवन कहा से कहा आ गया ,,,,🙆🏻♀️😟
एक वक्त था खुले आम बच्चे पूरे गांव में खेलते थे और अब आंगन से भी लापता हो जाते है ,,,😒😖
बहुत बदल गया इंसान और साथ में ये वक्त भी ,,,😕
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति ,,,🤗🤗🙏
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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आधुनिकता की अंधी दौड़ में सुकूं खो सा गया है। पैसे की लालच में आदमी मशीन सा हो गया है।रेस्टोरेंट से घर का खाना मगांते हैं और घर में पिज्ज़ा बनाते है।पश्चिम में भागते हुए मनुज पूरब को भूल गया है। आपने अपनी रचना के माध्यम से आपने बहुत अच्छे से समझाया है।बहुत खूब सर
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