pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

जान ए सलीम

4.5
4695

ख़ुदाई ख़लीफ़ा...हाँ यही नाम दिया था उसे बस्ती वालों ने | पर उसके माँ बाप ने उसे नाम दिया था नुरुलहक़ और पुकारते थे नूर कह कर | बस्ती के वीरान कोने में जो मस्जिद बरसों से गैरआबाद पड़ी थी ,..उसके आ जाने से ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
रिफ़अत शाहीन

रिफ़अत शाहीन का बचपन ही साहित्यिक परिवेश में बीता, नाना उर्दू के प्रख्यात साहित्यकार रहे , पिता प्रख्यात शायर.. माँ और नानी भी लेखन से जुडी रहीं । ऐसे में लेखिका ने बालवय में ही लिखना शुरू कर दिया । 10 वर्ष की आयु में लेखिका की पहली पुस्तक...बूझो तो जाने ..हिंदी उर्दू दोनों भाषा में प्रकाशित हुई। फिर तो लेखन को एक गति मिल गई ...18 वर्ष की आयु में एक पुस्तक., . औरत कमज़ोर नही, प्रकाशित हुई ..फिर लेखिका रेडियो और दूरदर्शन से जुड़ीं, थियेटर और फ़िल्म लेखन भी जारी है, अम्रर उजाला पत्र में भी लिखतीं रही, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लिखा , वर्तमान में एक अख़बार में ब्यूरो होने के साथ,साथ एक मासिक पत्रिका की सम्पादक, और मान्यता प्राप्त पत्रकार भी है । उर्दू अकेडमी उत्तर प्रदेश से एक नॉवेल...एक और अमीरन ..2016 में प्रकाशित हुई, एक नॉवेल ...गुलनार लोधी प्रेस में है, हिंदी संस्थान की पत्रिका साहित्य भारती में भी रचनाये प्रकाशित होती रहती है, सरस्वती सुमन, सृजन सरोकार, साहित्य सृजन ,और अन्य मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं,।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    yunus memon
    12 ஜூலை 2020
    लफ्ज नहीं हैं इस फलसफे के एज़ाज़ को बयां करने के लिये।कितनी बेहतरिन तज्वीज़ कितना खुबसूरत अंदाज और फिर शरा की पाबंदियों के साथ मोहब्बत के उनवान की शानदार पासबानि।बहुत खूब दर्दे दिल के वास्ते पैदा किया इन्सान को वरना इबादत के लिये कुछ कम ना थे जिन्नो मलक। रात की रुमानीयत के बहाने अपने जिस तरह खालीके वन्न्हार के कुदरत को अयां किया है वो काबिले मुबारकबाद है।आगे भी आपके शाहकार इसी तरह हासील हो सकेंगे यही उम्मीद के साथ सद हजार शुक्रिया।
  • author
    Bakhtavar Hanif
    25 மே 2018
    वाकई आपने मौहबब्त के मतलब समझा दिये,बिलकुल सही अल्लाह ने मौहब्बत के लिये दुनिया बनायी,कितनी खूहसूरती है आपकी लेखनी है आपकी रात ने तो मदहोश कर दिया एक एक लफ्ज मोती की तरह पिरोया है आपने ,दुनिया मै मौहब्त का पैगाम देने के लिये बहुत बहुत शुकिया
  • author
    Abdul Bari
    07 ஜனவரி 2020
    kya kahun Appi mere paas alfaaz nahi hai aapka Shukriya..... pratilipi ka shukriya
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    yunus memon
    12 ஜூலை 2020
    लफ्ज नहीं हैं इस फलसफे के एज़ाज़ को बयां करने के लिये।कितनी बेहतरिन तज्वीज़ कितना खुबसूरत अंदाज और फिर शरा की पाबंदियों के साथ मोहब्बत के उनवान की शानदार पासबानि।बहुत खूब दर्दे दिल के वास्ते पैदा किया इन्सान को वरना इबादत के लिये कुछ कम ना थे जिन्नो मलक। रात की रुमानीयत के बहाने अपने जिस तरह खालीके वन्न्हार के कुदरत को अयां किया है वो काबिले मुबारकबाद है।आगे भी आपके शाहकार इसी तरह हासील हो सकेंगे यही उम्मीद के साथ सद हजार शुक्रिया।
  • author
    Bakhtavar Hanif
    25 மே 2018
    वाकई आपने मौहबब्त के मतलब समझा दिये,बिलकुल सही अल्लाह ने मौहब्बत के लिये दुनिया बनायी,कितनी खूहसूरती है आपकी लेखनी है आपकी रात ने तो मदहोश कर दिया एक एक लफ्ज मोती की तरह पिरोया है आपने ,दुनिया मै मौहब्त का पैगाम देने के लिये बहुत बहुत शुकिया
  • author
    Abdul Bari
    07 ஜனவரி 2020
    kya kahun Appi mere paas alfaaz nahi hai aapka Shukriya..... pratilipi ka shukriya