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"जाके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई "

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🌻"जाके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई "🌻          बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि यह उक्ति आज स्वयं पर ही चरितार्थ होती हुई लगी ।अपनी संवेदनशीलता को अक्सर मैं अपनी रचनाओं में उभारा ...

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लेखक के बारे में
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Aruna Soni
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    navneeta chourasia
    22 नवम्बर 2020
    बहुत ही मार्मिक कहानी पर सकारात्मक अंत, कि कोई दूसरी रेवा इस तरह हादसे का शिकार ना बने। अच्छी रचना के लिए बधाइयां 👌👌👏👏 अभिनंदन 🙏🏻😊🌷💐💖
  • author
    kanak sharma
    22 नवम्बर 2020
    बहुत हृदयस्पर्शी रचना है । बहुत सुंदर लिखा है आपने । 🌺🌺🌺👍👍👌🏼👌🏼
  • author
    Poonam chandwani
    22 नवम्बर 2020
    बहुत ही मार्मिक और सत्य किसी और की पीड़ा समझने में वक्त लग जाता है🙏🙏
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    navneeta chourasia
    22 नवम्बर 2020
    बहुत ही मार्मिक कहानी पर सकारात्मक अंत, कि कोई दूसरी रेवा इस तरह हादसे का शिकार ना बने। अच्छी रचना के लिए बधाइयां 👌👌👏👏 अभिनंदन 🙏🏻😊🌷💐💖
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    kanak sharma
    22 नवम्बर 2020
    बहुत हृदयस्पर्शी रचना है । बहुत सुंदर लिखा है आपने । 🌺🌺🌺👍👍👌🏼👌🏼
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    Poonam chandwani
    22 नवम्बर 2020
    बहुत ही मार्मिक और सत्य किसी और की पीड़ा समझने में वक्त लग जाता है🙏🙏