इन्तज़ार(बालगीत ) गर्मी से कुछ राहत देदो आज शीतल हम सबको करदो धरती की कुछ तपन बुज़ाओ गगन का ये अभिमान मिटाओ तप रहा तवे सा विश्व अब तो आ जाओ तुम शीघ्र तुमसे चलते ही खेती हो पाए मुस्कान किसानो की ...
बहुत ही सुंदर पंक्तियां आपने लिखी है।
एक एक शब्द बढ़िया सुनियोजित की है आपने।
रचना बहुत ही अच्छी है ।
बहुत सुंदर भावनाओं से सजी हुई रचना ।बहुत ही बेहतरीन ।
लाजवाब एक एक पंक्ति बहुत सुंदर।
बेहतरीन भावनाओं से सजी हुई रचना।
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