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इंतज़ार

4.3
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इन्तज़ार(बालगीत ) गर्मी से कुछ राहत देदो आज शीतल हम सबको करदो धरती की कुछ तपन बुज़ाओ गगन का ये अभिमान मिटाओ तप रहा तवे सा विश्व अब तो आ जाओ तुम शीघ्र तुमसे चलते ही खेती हो पाए मुस्कान किसानो की ...

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लेखक के बारे में

પરિચય: જીજ્ઞાસા સોલંકી, સુરતથી. ફ્રિલાન્સ રાઈટર .ટૂંકીવાર્તા અને સાંપ્રત ઘટનાઓ વિશે લખવામાં વિશેષ રુચિ.

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    AnshuPriya Agrawal
    11 अप्रैल 2020
    बहुत ही सुंदर पंक्तियां आपने लिखी है। एक एक शब्द बढ़िया सुनियोजित की है आपने। रचना बहुत ही अच्छी है । बहुत सुंदर भावनाओं से सजी हुई रचना ।बहुत ही बेहतरीन । लाजवाब एक एक पंक्ति बहुत सुंदर। बेहतरीन भावनाओं से सजी हुई रचना।
  • author
    Shree ::: श्री :::
    29 जुलाई 2020
    kavita achi hain..aur uske panktiya v😊...
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    AnshuPriya Agrawal
    11 अप्रैल 2020
    बहुत ही सुंदर पंक्तियां आपने लिखी है। एक एक शब्द बढ़िया सुनियोजित की है आपने। रचना बहुत ही अच्छी है । बहुत सुंदर भावनाओं से सजी हुई रचना ।बहुत ही बेहतरीन । लाजवाब एक एक पंक्ति बहुत सुंदर। बेहतरीन भावनाओं से सजी हुई रचना।
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    Shree ::: श्री :::
    29 जुलाई 2020
    kavita achi hain..aur uske panktiya v😊...