बढ़ रहे हैं आपस में,देखो इतने बैर यहाँ। जी रहे हैं लोग सब,अपनों के बगैर यहाँ॥ लगे हुए हैं सारे ही,एक-दूजे को ठगने में। किस को अपना कहे ,किस को गैर यहाँ॥ अपनी-अपनी धुन में, डूबा हुआ हर कोई सुने न ...
प्रेम नारायण शर्मा उर्फ प्रेम फर्रूखाबादी शिक्षा बीo एo.सरकारी सेवा से फुरसत.गीत , कविता लिखना शौक है। 1994 में "श्री राम भक्त हनुमान" कैसिट के भजन लिखे जिन्हें मनहर उधास जी ने गाये.2010 में एक पुस्तक प्रकशित हुई "अक्स तेरा लफ्ज मेरे ".वर्तमान में लिखना जारी.और ग्रेटर नोइडा में निवास। मो0: 9958871010
सारांश
प्रेम नारायण शर्मा उर्फ प्रेम फर्रूखाबादी शिक्षा बीo एo.सरकारी सेवा से फुरसत.गीत , कविता लिखना शौक है। 1994 में "श्री राम भक्त हनुमान" कैसिट के भजन लिखे जिन्हें मनहर उधास जी ने गाये.2010 में एक पुस्तक प्रकशित हुई "अक्स तेरा लफ्ज मेरे ".वर्तमान में लिखना जारी.और ग्रेटर नोइडा में निवास। मो0: 9958871010
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