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इतने सारे शब्द

3.2
276

कुछ खामोशी से बहती हैं, कुछ शोर मचाते। नदियाँ जो इस मुल्क में अनगिनत हैं, जिनके खूबसूरत नाम हैं। उनके अलावा एक और अनाम, बहुत पुरानी नदी है... खून की नदी जो न जाने कब से, इस छोर से उस छोर तक बहती है ...

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लेखक के बारे में

जन्म : 1 दिसम्बर 1959, बदायूं (उ.प्र.) में । काषीपुर (नैनीताल) में प्रारंभिक षिक्षा, तदनंतर 1980 में बरेली कालेज, बरेली से एम. ए. (अर्थषास्त्र) । दो कथा संग्रह । ‘अंधेरे में हंसी’ भारतीय ज्ञानपीठ से और ‘पांच मिनट और अन्य कहानियां’ आधार प्रकाषन से । कहानियां हिंदी की प्रतिश्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाषित । अनुवाद अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी, मराठी और जर्मन में । कहानियों पर आधारित अनेक नाट्यमंचन । विभिन्न नगरों/विष्वविद्यालयों में कहानी पाठ । ‘गलत’ कहानी पर दूरदर्षन केंद्र, रांची द्वारा टेली फिल्म । कथा पुरस्कार, परिवेष सम्मान, विजय वर्मा कथा सम्मान, रमाकांत स्मृति पुरस्कार और स्पंदन सम्मान ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Smriti Prakash
    18 मार्च 2021
    इतना उलझाया और अंत बकवास
  • author
    Kushbu Sharma
    03 मई 2021
    bekar
  • author
    Davinder Kumar
    12 जुलाई 2020
    Nice
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Smriti Prakash
    18 मार्च 2021
    इतना उलझाया और अंत बकवास
  • author
    Kushbu Sharma
    03 मई 2021
    bekar
  • author
    Davinder Kumar
    12 जुलाई 2020
    Nice