यह कहानी एक कल्पना मात्र है । ऐसा मुझे लगता है कि इस आधुनिक जीवन में मानव का ईश्वर शब्द से विश्वास मिटता जा रहा है यह कहानी एक गांव की है जिसमें एक बहुत प्रसिद्ध महात्मा जी रहते थे ...
मेरा परिश्रम मेरी सफलता है।
मेरा विश्वास मेरी आशा है।
फसा हूँ जीवन के इस भमर में।
लिखूँ कुछ इस जहां के लिए
बस ह्दय में यही एक अभिलाषा है।
"न मैं ज्ञानी हूँ न मैं अज्ञानी हूँ न हूँ मैं मूर्ख
मैं हूँ एक साधारण सा इंसान।
पंच तत्व मिल काया वनी
अनुज दिया मात पिता ने नाम।।"
MOB. 6386008150
Mail - [email protected]
सारांश
मेरा परिश्रम मेरी सफलता है।
मेरा विश्वास मेरी आशा है।
फसा हूँ जीवन के इस भमर में।
लिखूँ कुछ इस जहां के लिए
बस ह्दय में यही एक अभिलाषा है।
"न मैं ज्ञानी हूँ न मैं अज्ञानी हूँ न हूँ मैं मूर्ख
मैं हूँ एक साधारण सा इंसान।
पंच तत्व मिल काया वनी
अनुज दिया मात पिता ने नाम।।"
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