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इश्क

4.0
1107

दरवाजे दिल के खोल आज इश्क को अंदर आने दे..\ . मैं,मैं ना रहूं तू,तू ना रहे ऐसा कुछ कर जाने दे... इश्क वज़ू कर ले आदमी धरम वरम धुल जाने दे, पाक ख़ुदा बस इश्क है बंदे इश्क को दीन बनाने दे, सांस सांस बस ...

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लेखक के बारे में

नाम: शिवप्रिय आलोक जन्मदिवस: 6 फरवरी 1989 मूलस्थान:कटिहार, बिहार शैक्षिक उपाधि: बी.बी.एम, टी.वी. प्रोडक्शन और डायरेक्शन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा

समीक्षा
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  • author
    Mariya Gorti
    06 नवम्बर 2022
    kafi achha hai hum ko ye bahut achha laga 🥰💞
  • author
    SHIVANAND YADAV
    18 नवम्बर 2021
    लाजवाब! Keep it up
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    Mariya Gorti
    06 नवम्बर 2022
    kafi achha hai hum ko ye bahut achha laga 🥰💞
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    SHIVANAND YADAV
    18 नवम्बर 2021
    लाजवाब! Keep it up