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इश्क और ताज

4.8
41

इश्क आज ताज में उतर आया है पूरे चांद की रात में  कुछ-कुछ गुलाबी कुछ सुनहरा नजर आया है ए इश्क! तू आज इत्र की तरह फैला है जर्रे जर्रे में तेरा नूर नजर आया है------- निधि सहगल ...

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लेखक के बारे में
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Nidhi Sehgal

अपने सपनो को लिखना

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ambika Jha
    08 नवम्बर 2020
    बहुत ही सुन्दर शानदार प्रस्तुति 🌟🌟💐👏👏💐👌
  • author
    08 नवम्बर 2020
    इश्क का नूर ज़र्रे ज़र्रे में वाह निधी मैम बहुत खूब 👌👌🙏💐
  • author
    मनोहर शिंपी "M E S"
    08 नवम्बर 2020
    वाह, क्या बात है। बहोत शानदार। 💐🌹👏🌺👏🌹💐
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    Ambika Jha
    08 नवम्बर 2020
    बहुत ही सुन्दर शानदार प्रस्तुति 🌟🌟💐👏👏💐👌
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    08 नवम्बर 2020
    इश्क का नूर ज़र्रे ज़र्रे में वाह निधी मैम बहुत खूब 👌👌🙏💐
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    मनोहर शिंपी "M E S"
    08 नवम्बर 2020
    वाह, क्या बात है। बहोत शानदार। 💐🌹👏🌺👏🌹💐