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हिन्दी

इंटरव्यू

4.3
6307

धूल उड़ाती हुई बस रुक गई। इस उजाड़ से गाँव में उसे उतरते देख ड्राइवर, कंडक्टर, यात्री सभी के चेहरों पर एक प्रश्नचिन्ह था, यह लड़की इस गाँव में क्या करेगी? वह मुस्कुराते हुए उतर पड़ी। गुमटी पर एक छोटा ...

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लेखक के बारे में
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डॉ. हंसा दीप

प्रवासी उपन्यासकार व कहानीकार, निवास – टोरंटो (कनाडा)। मेघनगर (जिला झाबुआ, मध्यप्रदेश) में 1958 में जन्म। 1990 में हिन्दी में पीएच.डी.। भोपाल और विक्रम विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक, न्यूयार्क, अमेरिका की कुछ संस्थाओं में हिन्दी शिक्षण, यॉर्क विश्वविद्यालय टोरंटो में हिन्दी कोर्स डायरेक्टर, वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में लेक्चरार के पद पर कार्यरत। भारत की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कई रचनाओं का प्रकाशन एवं आकाशवाणी से प्रसारण, अमेरिका व कैनेडा से प्रकाशित हिन्दी पत्रिकाओं में कहानियाँ लगातार प्रकाशित। प्रसिद्ध अंग्रेज़ी फ़िल्मों – हैनीबल, द ममी रिटर्नस, अमेरिकन पाई, पैनीज़ फ्रॉम हैवन आदि के लिए हिन्दी में सब-टाइटल्स अनुदित। उपन्यास “बंद मुट्ठी” (2017) व कहानी संग्रह “चश्मे अपने-अपने” 2007 में प्रकाशित। कैनेडियन विश्वविद्यालयों में हिन्दी छात्रों के लिए अंग्रेज़ी-हिन्दी में पाठ्य-पुस्तकों के कई संस्करण प्रकाशित।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    piyush tiwari
    18 जनवरी 2019
    मालवी भाषा का प्रयोग दिखा कहानी में, आप निश्चित मालवा से हैं या कुछ नाता हैं मालवा से | बहरहाल उम्दा कहानी |
  • author
    07 जुलाई 2018
    अच्छा लगा पढ़कर। दूर से दिखने वाले आसान काम अक्सर ज़मीन पर कठिन होते ह।
  • author
    Devendra Kumar Mishra
    27 मई 2018
    ग्रामीण जीवन मे पारदर्शिता होती है जो अंदर है वही बाहर लेकिन शहरी लोगो मे नही।
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    piyush tiwari
    18 जनवरी 2019
    मालवी भाषा का प्रयोग दिखा कहानी में, आप निश्चित मालवा से हैं या कुछ नाता हैं मालवा से | बहरहाल उम्दा कहानी |
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    07 जुलाई 2018
    अच्छा लगा पढ़कर। दूर से दिखने वाले आसान काम अक्सर ज़मीन पर कठिन होते ह।
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    Devendra Kumar Mishra
    27 मई 2018
    ग्रामीण जीवन मे पारदर्शिता होती है जो अंदर है वही बाहर लेकिन शहरी लोगो मे नही।