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हिन्दी

इंतज़ार

4.5
17904

ओह सात बज गए। वो आ गये होंगे तो फिर सुबह ख़राब होगी। रचना ब्रश किये बगैर ही किचन मे चली गई। आलाप मॉर्निंग वॉक करने जाते वहां से आने के बाद गरम पानी में शहद डालकर पीता। रचना ने गरम पानी टेबल पर रखा ...

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लेखक के बारे में
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निमिषा दलाल

वैसे तो मैं गुजराती मे शोर्ट स्टोरीज लिखती हूँ. अभी थोड़े समय से मेरी गुजराती स्टोरीज को हिन्दी मे अनुवाद करा के रख रही हूँ. आशा है की हिन्दी में भी पाठकों का प्रेम मिलेगा.. गुजराती में मेरी कहानियाँ पढ़ने के लिए : https://gujarati.pratilipi.com/user/નિમિષા-દલાલ-t90wifwycs

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ankita Dewan
    19 जून 2018
    इसे कहते है.. भारतीय नारी बेचारी को जिस पति ने सुख नहीं दिया..उसको ITNA PYAR KARTI HAI KI BHOOL NAHI PAYI..HAYE BHARTIYE NARI KABHI APNE LIYE JEE NAHI PAYI..JAISI YEH KAHANI HAI..WAISE HI SAME MERE PATI HAI..PAT NAHI KAB GUSSA AA JAYE..PHIR BHI PECHLE 10 SAALO SE JHEL RAHI HU PATA NAHI KYU...
  • author
    Dipti Biswas
    30 मई 2018
    मेरे रोंगटे खड़े हो गए मेम आखिर के लाइन से। बहुत अच्छी है बहुत ही भावनात्मक कहानी
  • author
    Ishwari Singh
    22 मार्च 2018
    क्या कहूं मैं समझ समर्पण के भाव पर भारी
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  • author
    Ankita Dewan
    19 जून 2018
    इसे कहते है.. भारतीय नारी बेचारी को जिस पति ने सुख नहीं दिया..उसको ITNA PYAR KARTI HAI KI BHOOL NAHI PAYI..HAYE BHARTIYE NARI KABHI APNE LIYE JEE NAHI PAYI..JAISI YEH KAHANI HAI..WAISE HI SAME MERE PATI HAI..PAT NAHI KAB GUSSA AA JAYE..PHIR BHI PECHLE 10 SAALO SE JHEL RAHI HU PATA NAHI KYU...
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    Dipti Biswas
    30 मई 2018
    मेरे रोंगटे खड़े हो गए मेम आखिर के लाइन से। बहुत अच्छी है बहुत ही भावनात्मक कहानी
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    Ishwari Singh
    22 मार्च 2018
    क्या कहूं मैं समझ समर्पण के भाव पर भारी