तकरीबन छः महीने पहले की बात है। सुबह के साढ़े नौ बज रहे थे... और यही मेरे कॉलेज का समय भी होता है। कॉलेज के अंदर एंट्री करती हूँ... मेरे साथ और भी कई स्टूडेंट अंदर आते हैं... मुझे 100 का नोट ज़मीन पर ...
कुछ नेकियाँ ऐसी भी होने चाहिए,जिनका भगवान के सिवा कोई साक्षी ना हो
अपने बारे में वैसे ज़्यादा कुछ तो नहीं लिखना। बस सरल और निश्छल हूँ। अपनी दुनिया में मस्त-मगन हूँ। ना सम्मान का मोह है और ना ही अपमान का डर। खुद्दारी मेरे लिए सबसे बढ़कर है। किसी की मदद के लिए हमेशा होंठो पर हां है मेरे। किसी का दिल ना दुखे ये एक कोशिश है मेरी।
सारांश
कुछ नेकियाँ ऐसी भी होने चाहिए,जिनका भगवान के सिवा कोई साक्षी ना हो
अपने बारे में वैसे ज़्यादा कुछ तो नहीं लिखना। बस सरल और निश्छल हूँ। अपनी दुनिया में मस्त-मगन हूँ। ना सम्मान का मोह है और ना ही अपमान का डर। खुद्दारी मेरे लिए सबसे बढ़कर है। किसी की मदद के लिए हमेशा होंठो पर हां है मेरे। किसी का दिल ना दुखे ये एक कोशिश है मेरी।
रिपोर्ट की समस्या
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