pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

इंसान के दोगलापन

5
53

शाम का समय था कुछ लोग पार्क में बैठे  ,वह आपस में बातें कर रहे थे,वहां पर उनके बीच में किसी डेथ को लेकर आपस में बातचीत चल पड़ी, !पार्क में एक बुजुर्ग और समझदार व्यक्ति भी बैठे हुए थे, उन्होंने ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Shashi Jain Goyal

कभी खुशी , कभी गम, यही है जीवन।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    प्रद्युम्न
    23 डिसेंबर 2020
    सही भी है ...सच्ची आलोचना व्यक्तित्व को निखारती है...व्यक्ति के मरने के बाद अब और आलोचना की आवश्यक्ता ही समाप्त हो जाती है।
  • author
    pinku Choudhary
    23 डिसेंबर 2020
    shi h ji 💯.....इंसान अच्छा था सुनने के लिए मरना पड़ता है...!😑
  • author
    jayshankar prasad
    23 डिसेंबर 2020
    बिलकुल सटीक एवं सार्थक टिप्पणी की है आपने आदरणीया मैडम जी
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    प्रद्युम्न
    23 डिसेंबर 2020
    सही भी है ...सच्ची आलोचना व्यक्तित्व को निखारती है...व्यक्ति के मरने के बाद अब और आलोचना की आवश्यक्ता ही समाप्त हो जाती है।
  • author
    pinku Choudhary
    23 डिसेंबर 2020
    shi h ji 💯.....इंसान अच्छा था सुनने के लिए मरना पड़ता है...!😑
  • author
    jayshankar prasad
    23 डिसेंबर 2020
    बिलकुल सटीक एवं सार्थक टिप्पणी की है आपने आदरणीया मैडम जी