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अधूरी प्रेम कहानी

4.5
14821

सर्दी की एक साधारण सी शाम थी। पूरा शहर धीरे-धीरे ठंड के आगोश में समा रहा था। दिनभर की भागदौड़ सिमट रही थी।सूरज चादर ओढ़ कर सोने जा रहा था सब कुछ वैसा ही था जैसे रोज होता है। वैसे ही शहर के मंदिर ...

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लेखक के बारे में
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अनिल जांगड़ा

कल्पनाओं को कहानी की शक्ल देता हुं।कोई लेखक नहीं हूं पर जब भी समय मिलता है तो लिखने की कोशिश करता हूं।आपके सुझाव आमंत्रित हैं अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, राय फरमाइश मेल करें [email protected] पर

समीक्षा
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  • author
    अपर्णा तिवारी
    31 ഒക്റ്റോബര്‍ 2017
    कोई क्यू चला जाता है, ऐसे ही अचानक, बिना कुछ बोले, बहुत तकलीफ होती है, देख सकते हो कही से मुझे? सब कहते हैं कि मुझे रोना नहीं चाहिए, आपको तकलीफ होगी, फिर गए ही क्यूँ? काश आप कोई जवाब दे पाते.
  • author
    उमर महबूब
    13 ആഗസ്റ്റ്‌ 2018
    4साल यानी एक साल पहले तक तो बात हुई थी फोन पर फिर एक साल बाद यानी 5वे साल जब वो दिल्ली गयी तो अख़बार के अनुसार चौथी पुण्यतिथि थी इस प्रकार वो आने के 1 साल बाद ही चल बसा तो वो डॉक्टर कब बना और मरने के 2 साल बाद तक कैसे बात करता था
  • author
    Shriyam Dwivedi
    10 ജനുവരി 2018
    दिल को छू गई
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    अपर्णा तिवारी
    31 ഒക്റ്റോബര്‍ 2017
    कोई क्यू चला जाता है, ऐसे ही अचानक, बिना कुछ बोले, बहुत तकलीफ होती है, देख सकते हो कही से मुझे? सब कहते हैं कि मुझे रोना नहीं चाहिए, आपको तकलीफ होगी, फिर गए ही क्यूँ? काश आप कोई जवाब दे पाते.
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    उमर महबूब
    13 ആഗസ്റ്റ്‌ 2018
    4साल यानी एक साल पहले तक तो बात हुई थी फोन पर फिर एक साल बाद यानी 5वे साल जब वो दिल्ली गयी तो अख़बार के अनुसार चौथी पुण्यतिथि थी इस प्रकार वो आने के 1 साल बाद ही चल बसा तो वो डॉक्टर कब बना और मरने के 2 साल बाद तक कैसे बात करता था
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    Shriyam Dwivedi
    10 ജനുവരി 2018
    दिल को छू गई