सर्दी की एक साधारण सी शाम थी। पूरा शहर धीरे-धीरे ठंड के आगोश में समा रहा था। दिनभर की भागदौड़ सिमट रही थी।सूरज चादर ओढ़ कर सोने जा रहा था सब कुछ वैसा ही था जैसे रोज होता है। वैसे ही शहर के मंदिर ...
कल्पनाओं को कहानी की शक्ल देता हुं।कोई लेखक नहीं हूं पर जब भी समय मिलता है तो लिखने की कोशिश करता हूं।आपके सुझाव आमंत्रित हैं
अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, राय फरमाइश मेल करें [email protected] पर
सारांश
कल्पनाओं को कहानी की शक्ल देता हुं।कोई लेखक नहीं हूं पर जब भी समय मिलता है तो लिखने की कोशिश करता हूं।आपके सुझाव आमंत्रित हैं
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कोई क्यू चला जाता है, ऐसे ही अचानक, बिना कुछ बोले, बहुत तकलीफ होती है, देख सकते हो कही से मुझे? सब कहते हैं कि मुझे रोना नहीं चाहिए, आपको तकलीफ होगी, फिर गए ही क्यूँ? काश आप कोई जवाब दे पाते.
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4साल यानी एक साल पहले तक तो बात हुई थी फोन पर फिर एक साल बाद यानी 5वे साल जब वो दिल्ली गयी तो अख़बार के अनुसार चौथी पुण्यतिथि थी इस प्रकार वो आने के 1 साल बाद ही चल बसा तो वो डॉक्टर कब बना और मरने के 2 साल बाद तक कैसे बात करता था
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कोई क्यू चला जाता है, ऐसे ही अचानक, बिना कुछ बोले, बहुत तकलीफ होती है, देख सकते हो कही से मुझे? सब कहते हैं कि मुझे रोना नहीं चाहिए, आपको तकलीफ होगी, फिर गए ही क्यूँ? काश आप कोई जवाब दे पाते.
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