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दुःखी

4.5
2501

एक दोपहर बैंक मैं पड़ी बैंच पर बैठी काव्या कुछ अपनी ही सोच मैं डूबी हुई है! कैसे होगा क्या होगा कुछ पता नही !अब उसे न जाने कितनी ओर परेशानियों का सामना करना पड़ेगा । उसके ही कंधो पर सारी जिमेम्मदरी ...

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लेखक के बारे में
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Komal Krishna

नमस्ते मेरे प्यारे दोस्तों, में एक बार फिर प्रतिलिपि पर कहानी लिखने जा रहीं हूँ। में आशा करती हूं कि आप सभी मुझे स्पोर्ट जरूर करेंगे। मेरे मन में एक नई आशा की किरण जगी है जिसे आपके साथ कि आवश्यकता है। आप लोग अपने कीमती समय निकाल कर मेरी रचना पड़ेंगे, और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया देंगे तो में आपकी आभारी रहूंगी । आपकी प्रतिक्रिया का मुझे इन्तजर रहेगा। दिल से आप सभी को धन्यबाद..... मेरी कहानी सुनने के लिये मेरे youtube channel जाकर भी सुन सकते हें। "The world of stories by komal" 👇click here for more videos https://www.youtube.com/@storybykomal

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    26 جولائی 2019
    वर्तमान सामाजिक परिदृश्य पर आघात करती बेहतरीन और बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती सार्थक रचना
  • author
    Madhuri Shukla
    14 اپریل 2019
    आज के समय की यही सच्चाई है
  • author
    Meera Singh
    15 اپریل 2019
    aaj ka such
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  • author
    26 جولائی 2019
    वर्तमान सामाजिक परिदृश्य पर आघात करती बेहतरीन और बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती सार्थक रचना
  • author
    Madhuri Shukla
    14 اپریل 2019
    आज के समय की यही सच्चाई है
  • author
    Meera Singh
    15 اپریل 2019
    aaj ka such