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मुझे राम नहीं चाहिए!

3.7
2259

मुझे राम नहीं चाहिए! ऐसा ही कहा था सिया ने जब उसकी माँ ने कहा कि वे उसके लिए राम जैसा वर लाएगी एकदम सिया राम सी जोड़ी होगी आखिर एक ही लड़की है हमारी ! यह सुनते ही सिया बोल पड़ी माँ मुझे राम नही ...

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शिवानी सिंह
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    sandeep rathore
    14 दिसम्बर 2019
    प्रभु राम ने पूरा जीवन लोककल्याण में लगा दिया उन्हें अपने औऱ पत्नि के सुख के बारे किंचित मात्र भी परवाह नही थी त्याग और समर्पण की कोई ऐसी मिसाल नही... माता सीता कोई कलयुग की नारी नही थी जिसे अपने सुख के अलावा कुछ नही दिखता पूरा भारतीय साहित्य वेद पुराण भगवान राम की महिमा से भरे है लेखनी महोदया आप को सा चश्मा लगाकर बैठी है
  • author
    ꜱᴄɪᴇɴᴛɪꜰɪᴄ STUDENT
    12 फ़रवरी 2020
    मैडम पहली बात तो ये है कि 500 वर्ष पुरानी रामचरितमानस पढकर मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर आरोप लगाने की आपकी औकात नही है। दूसरे ये कि महर्षि वाल्मीकि जो कि श्रीराम के समय के थे,और आज से लगभग साढे 9 लाख साल पहले पैदा हुए थे, द्वारा लिखी रामायण मे कहीं भी "अग्निपरीक्षा" का वर्णन नही है, न ही धोबी द्वारा कहे जाने पर जंगल मे छोडने का, क्योंकि मूल रामायण मे उत्तरकांड था ही नही, यह उत्तरकांड बाद मे जोडा गया है। इसलिये पहले महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण पढे और तब किसी महापुरूष पर आक्षेप करे। किसी जनश्रुति के भरोसे रहकर किसी पर लांछन लगाना बुद्धिमता नही है।
  • author
    Manjeet Rajput
    24 दिसम्बर 2019
    जी कुमार विश्वास की अपने अपने राम देख लेना ये गलत तर्क है बहुत घटिया कहानी है आप का ज्ञान अधूरा है एक बार आप लेखक की हैसियत से अपने अपने राम देख लेना आप और मुझे जवाब जरूर देना
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    sandeep rathore
    14 दिसम्बर 2019
    प्रभु राम ने पूरा जीवन लोककल्याण में लगा दिया उन्हें अपने औऱ पत्नि के सुख के बारे किंचित मात्र भी परवाह नही थी त्याग और समर्पण की कोई ऐसी मिसाल नही... माता सीता कोई कलयुग की नारी नही थी जिसे अपने सुख के अलावा कुछ नही दिखता पूरा भारतीय साहित्य वेद पुराण भगवान राम की महिमा से भरे है लेखनी महोदया आप को सा चश्मा लगाकर बैठी है
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    ꜱᴄɪᴇɴᴛɪꜰɪᴄ STUDENT
    12 फ़रवरी 2020
    मैडम पहली बात तो ये है कि 500 वर्ष पुरानी रामचरितमानस पढकर मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर आरोप लगाने की आपकी औकात नही है। दूसरे ये कि महर्षि वाल्मीकि जो कि श्रीराम के समय के थे,और आज से लगभग साढे 9 लाख साल पहले पैदा हुए थे, द्वारा लिखी रामायण मे कहीं भी "अग्निपरीक्षा" का वर्णन नही है, न ही धोबी द्वारा कहे जाने पर जंगल मे छोडने का, क्योंकि मूल रामायण मे उत्तरकांड था ही नही, यह उत्तरकांड बाद मे जोडा गया है। इसलिये पहले महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण पढे और तब किसी महापुरूष पर आक्षेप करे। किसी जनश्रुति के भरोसे रहकर किसी पर लांछन लगाना बुद्धिमता नही है।
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    Manjeet Rajput
    24 दिसम्बर 2019
    जी कुमार विश्वास की अपने अपने राम देख लेना ये गलत तर्क है बहुत घटिया कहानी है आप का ज्ञान अधूरा है एक बार आप लेखक की हैसियत से अपने अपने राम देख लेना आप और मुझे जवाब जरूर देना