मुझे राम नहीं चाहिए! ऐसा ही कहा था सिया ने जब उसकी माँ ने कहा कि वे उसके लिए राम जैसा वर लाएगी एकदम सिया राम सी जोड़ी होगी आखिर एक ही लड़की है हमारी ! यह सुनते ही सिया बोल पड़ी माँ मुझे राम नही ...
प्रभु राम ने पूरा जीवन लोककल्याण में लगा दिया उन्हें अपने औऱ पत्नि के सुख के बारे किंचित मात्र भी परवाह नही थी
त्याग और समर्पण की कोई ऐसी मिसाल नही...
माता सीता कोई कलयुग की नारी नही थी जिसे अपने सुख के अलावा कुछ नही दिखता
पूरा भारतीय साहित्य वेद पुराण भगवान राम की महिमा से भरे है
लेखनी महोदया आप को सा चश्मा लगाकर बैठी है
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मैडम पहली बात तो ये है कि 500 वर्ष पुरानी रामचरितमानस पढकर मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर आरोप लगाने की आपकी औकात नही है।
दूसरे ये कि महर्षि वाल्मीकि जो कि श्रीराम के समय के थे,और आज से लगभग साढे 9 लाख साल पहले पैदा हुए थे, द्वारा लिखी रामायण मे कहीं भी "अग्निपरीक्षा" का वर्णन नही है, न ही धोबी द्वारा कहे जाने पर जंगल मे छोडने का, क्योंकि मूल रामायण मे उत्तरकांड था ही नही, यह उत्तरकांड बाद मे जोडा गया है। इसलिये पहले महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण पढे और तब किसी महापुरूष पर आक्षेप करे। किसी जनश्रुति के भरोसे रहकर किसी पर लांछन लगाना बुद्धिमता नही है।
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जी कुमार विश्वास की अपने अपने राम देख लेना ये गलत तर्क है
बहुत घटिया कहानी है
आप का ज्ञान अधूरा है
एक बार आप लेखक की हैसियत से अपने अपने राम देख लेना आप
और मुझे जवाब जरूर देना
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