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हुस्न की परी हो

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हुस्न की परी हो या चाँदनी से धुला है चेहरा । ज़ुल्फ़े ऐसी जैसे चेहरे पर बादलों का पहरा । आँखें   तेरी   जैसे   गज़ल  की   किताब  हो । इस झील सी आँखों मे है कितनी ख़्वाहिशों का डेरा । दूध में केसर की ...

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लेखक के बारे में
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Mohammad Irshad

खामोश ज़िन्दगी

समीक्षा
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    24 मार्च 2019
    बेहदददददद खूबसूरत ।
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    24 मार्च 2019
    बेहदददददद खूबसूरत ।