क्या कहता हूं , क्या तुम सुन पाओगे
क्या कुछ बहन की विदाई पे भी लिख पाओगे
साल भर झगड़े थे जिस से क्या आज हल्दी गाल पे मल पाओगे ।
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माना तुझको राखी पे हम कुछ दे ना पाये
क्या आज काँपते हाथों से बाने दे पाओगे ।
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बीते लम्हे समेट कर ले जायेगी,आज बहन डोली मैं बैठ अपने घर चली जायेगी
जब पूछेंगी सवाल भाई मेरा अपना घर ये नही है क्या ?
क्या तब बहते आंसुओ को रोक पाओगे ।
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यू तो हर रोज हर छोटी बड़ी बात पे तुझको रोका टोका होगा
हर छोटी सी बात की शिकायत पापा से कर दी होगी
पर जब शिकायत करेगी ससुराल की तूझसे
तब क्या उसको समझा पाओगे।
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यकीन नही आता कब वक़्त गुजर गया
एक बहिन का भाई अब उससे बिछड़ गया
अब हर रोज उसकी कमी खलती है
बहुत ताना मारती थी ससुराल चली जाऊंगी
अब मायके आने को तरसती है।
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रिपोर्ट की समस्या
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