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हूँ मैं परवाना मगर

4.4
2673

हूँ मैं परवाना मगर शम्मा तो हो रात तो हो जान देने को हूँ मौजूद कोई बात तो हो दिल भी हाज़िर सर-ए-तसलीम भी ख़म को मौजूद कोई मरकज़ हो कोई क़िबला-ए-हाजात तो हो दिल तो बे-चैन है इज़्हार-ए-इरादत के ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : अकबर हुस्सैन रिज़वी उपनाम : अकबर अलाहाबादी जन्म : 16 नवंबर 1846 देहावसान: 15 फरवरी 1921 भाषा : उर्दू विधाएँ : ग़ज़ल, शायरी अकबर अलाहाबादी उर्दू व्यंग्य के अग्रणी रचनाकारों में से एक हैं, इनके काफी शेरों एवम ग़ज़लों में सामाजिक दर्द को सरल भाषा में हास्यपूर्क ढंग से उकेरा गया है। "हंगामा है क्यूं बरपा" इनकी मशहूर ग़ज़लों में से एक है

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    28 মে 2018
    ज्यादा तो ना समझ पाया पर जितना आया माशा अल्लाह
  • author
    rashmi dubey
    27 সেপ্টেম্বর 2018
    अच्छी गजल.काबिले तारीफ .
  • author
    Kanishk Sakle
    20 এপ্রিল 2018
    पढ़ कर आनंद की अनुभूति मिलती है...
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    28 মে 2018
    ज्यादा तो ना समझ पाया पर जितना आया माशा अल्लाह
  • author
    rashmi dubey
    27 সেপ্টেম্বর 2018
    अच्छी गजल.काबिले तारीफ .
  • author
    Kanishk Sakle
    20 এপ্রিল 2018
    पढ़ कर आनंद की अनुभूति मिलती है...