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हमसफ़र

4.6
14238

रात में देर तक उन्नीस वर्षीय गुड्डी,साठ वर्षीय सास मालती देवी के कपडेमुद्दतों पुरानी टीन की लाल फूल वाली नीली बकसिया में जमाती रही और मालती देवी वहीं कथरी पर बैठी टुकुर टुकुर उसे ताकती रही |अगले दिन ...

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लेखक के बारे में
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वंदना शुक्ला

वंदना शुक्ल , २०१२ में पहली कहानी ''वागर्थ' (कोलकाता ) से प्रकाशित हुई |अभी तक चार कहानी संग्रह , और एक उपन्यास प्रकाशित |आकाशवाणी में अस्थाई उद्घोषिका , रंगकर्मी , शिक्षिका

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manju Mishra
    15 अक्टूबर 2018
    कुछ अलग हट कर। अच्छी कहानी विषय बहुत अच्छा है।वृद्धाअवस्था और अकेलेपन की समस्याओं को दर्शाती कहानी अपने अंदर के डर पर विजय प्राप्त करते नायिका वाह ।
  • author
    kalyanee rao
    07 अप्रैल 2021
    kitni gehraayi hoti hai aapki kahaaniyon me .. sach me ek ache kahanikaar ki soch uski kahaniyon se jhalakati h.. jaise aapki.. aapko badhayi
  • author
    Ram Kripal Maurya
    01 मई 2020
    इतना यथार्थ चित्रण... एक सशंकित यात्रा की सुखद शुरुआत ... मास्टर जी जैसे सहयात्री को भूलना मुश्किल... सुन्दर रचना.. .
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    Manju Mishra
    15 अक्टूबर 2018
    कुछ अलग हट कर। अच्छी कहानी विषय बहुत अच्छा है।वृद्धाअवस्था और अकेलेपन की समस्याओं को दर्शाती कहानी अपने अंदर के डर पर विजय प्राप्त करते नायिका वाह ।
  • author
    kalyanee rao
    07 अप्रैल 2021
    kitni gehraayi hoti hai aapki kahaaniyon me .. sach me ek ache kahanikaar ki soch uski kahaniyon se jhalakati h.. jaise aapki.. aapko badhayi
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    Ram Kripal Maurya
    01 मई 2020
    इतना यथार्थ चित्रण... एक सशंकित यात्रा की सुखद शुरुआत ... मास्टर जी जैसे सहयात्री को भूलना मुश्किल... सुन्दर रचना.. .