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हिन्दी

हम तुम और वो

4.8
391

मैं अभी अभी हैदराबाद मे नई कम्पनी मे ज्वाइनिंग दी थी आदत के अनुसार रिजर्व रहती थी । बस  जरूरत भर लोगों से बातचीत वही मेरे सामने बैठने वाली विपिन उसे कभी अपनी टेबिल पर बैठना तो जैसे आदत मे नहीं पर ...

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लेखक के बारे में
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upendra kumar singh

मैं उपेन्द्र कुमार सिंह स्नातक वर्तमान सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी हिन्दी पढने मे रुचि तथा कुछ लिखने का प्रयास के कारण प्रति लिपि मंच से जुड़ा

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sunil Choubey
    20 জুলাই 2023
    very very nice 🙂
  • author
    28 এপ্রিল 2022
    आपकी कहानी मन को छू गयी । सच कहूँ ईमानदारी से ---? मुझे आज तक यह लगा ही नहीं कि कोई आदमी किसी महिला के लिये इतनी शिद्दत से प्यार कर सकता है । कम से कम निजी जीवन मे मुझे ऐसा देखने को नहीं मिला । इसलिये इस कहानी को पढ़कर बहुत अच्छा लगा । आगे की कल्पना मैने कर लिया कि अब शायद वे एक हो गए होंगे ।
  • author
    Jaya Sharma "प्रियंवदा"
    19 অগাস্ট 2023
    बहुत सुन्दर और सार्थक कहानी लिखी है आपने सादर नमस्कार सर जी मेरे द्वारा लिखित रचनाएं भी समय निकाल कर पढकर देखिएगा उम्मीद करती हूं आप को ठीक लगेगीं
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    Sunil Choubey
    20 জুলাই 2023
    very very nice 🙂
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    28 এপ্রিল 2022
    आपकी कहानी मन को छू गयी । सच कहूँ ईमानदारी से ---? मुझे आज तक यह लगा ही नहीं कि कोई आदमी किसी महिला के लिये इतनी शिद्दत से प्यार कर सकता है । कम से कम निजी जीवन मे मुझे ऐसा देखने को नहीं मिला । इसलिये इस कहानी को पढ़कर बहुत अच्छा लगा । आगे की कल्पना मैने कर लिया कि अब शायद वे एक हो गए होंगे ।
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    Jaya Sharma "प्रियंवदा"
    19 অগাস্ট 2023
    बहुत सुन्दर और सार्थक कहानी लिखी है आपने सादर नमस्कार सर जी मेरे द्वारा लिखित रचनाएं भी समय निकाल कर पढकर देखिएगा उम्मीद करती हूं आप को ठीक लगेगीं