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हाऊ टू डाई! (मरे कैसे!)

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क्या लिखूं...,अब मैं चालाक हो गया हू खुल कर लिख ही नहीं पता हू, समय की द्वंदता ने कुछ ज्यादा ही समझदार बना दिया , तुम्हारा जिक्र करने से बचा रह जाता हू, पर मेरा अस्तित्व तो तुम ही हो..., कौन ...

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लेखक के बारे में
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Gaurav Seth

011129 2-16 आसान नही है खुद को समझना...

समीक्षा
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    04 जनवरी 2024
    हमने कहीं पढ़ा था कि बोले गए झूठ और लिखी गई बातें सच हो जाती है,आप किताब ज़रूर लिख सकते हैं।मन को डर से मुक्त कीजिए।😊
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    04 जनवरी 2024
    हमने कहीं पढ़ा था कि बोले गए झूठ और लिखी गई बातें सच हो जाती है,आप किताब ज़रूर लिख सकते हैं।मन को डर से मुक्त कीजिए।😊