कहानी का प्लाट अच्छा है लेकिन लिखने के तरीके में थोड़ी कमी है जिसमें सुधार किया जा सकता है। एक दो जगह वर्तनी में कुछ गलतियाँ हैं जिन्हे सुधारा जा सकता है। शुरुआत के अनुच्छेद में 'गेस्ट हॉउस' के बाद वाक्य नेक्स्ट लाइन में चला जाता है जिसकी की जरूरत नहीं है। ये प्रस्तुतिकरण की छोटी मोटी गलतियाँ है जो नहीं होनी चाहिए थी। कहानी की बात करूँ तो अभी पाठक के रूप में मैं मुख्य किरदार के मन के भावों को महसूस नहीं कर पा रहा हूँ। पानी के टपकने से मन में जो संशय उत्पन्न हुआ और जो बाद में डर में तब्दील हुआ उसे महसूस नहीं कर पा रहा हूँ। यही हाल होटल के डरावने माहौल का है। इन चीजों पर काम करके इन्हे सही तरीके से दर्शाया जाता तो यकीनन कहानी और अच्छी हो सकती थी। बाकी अच्छी कोशिश है।
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कहानी का प्लाट अच्छा है लेकिन लिखने के तरीके में थोड़ी कमी है जिसमें सुधार किया जा सकता है। एक दो जगह वर्तनी में कुछ गलतियाँ हैं जिन्हे सुधारा जा सकता है। शुरुआत के अनुच्छेद में 'गेस्ट हॉउस' के बाद वाक्य नेक्स्ट लाइन में चला जाता है जिसकी की जरूरत नहीं है। ये प्रस्तुतिकरण की छोटी मोटी गलतियाँ है जो नहीं होनी चाहिए थी। कहानी की बात करूँ तो अभी पाठक के रूप में मैं मुख्य किरदार के मन के भावों को महसूस नहीं कर पा रहा हूँ। पानी के टपकने से मन में जो संशय उत्पन्न हुआ और जो बाद में डर में तब्दील हुआ उसे महसूस नहीं कर पा रहा हूँ। यही हाल होटल के डरावने माहौल का है। इन चीजों पर काम करके इन्हे सही तरीके से दर्शाया जाता तो यकीनन कहानी और अच्छी हो सकती थी। बाकी अच्छी कोशिश है।
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