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होरोस्कोप

4.2
5151

गर्मियों के दिन थे। मैं बैठे-बैठे उबासियाँ ले रहा था। अचानक मन में ख्याल आया, "क्यों न अपना भविष्य जाना जाये। वैसे भी आजकल भविष्य बताने वालों की भीड़ है। थोड़ा मनोरंजन भी हो जायेगा और कुछ नया जानने ...

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लेखक के बारे में
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anagha joglekar

मैं इंजीनियर होने के साथ ही उपन्यासकार व लघुकथाकार भी हूँ. चित्रकारी और जीवन को सकारात्मक ढंग से जीना मेरी ताकत है.

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    मनीष यादव "MANI"
    30 सितम्बर 2018
    कहानी अच्छी है और उसका प्रवाह भी बहुत बढ़िया है।
  • author
    19 सितम्बर 2018
    अच्छी लगी. सच हैं कभी-कभी कितनी छोटी-छोटी बातों पर ्विश्वास करके जबरन अपना सुख-चैन खत्म कर लेते हैं.
  • author
    Vipin Sahu "Vip"
    03 अक्टूबर 2018
    ये बात सच है अक्सर हम भविष्य को जानने के चक्कर में वर्तमान खराब कर लेते हैं
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    मनीष यादव "MANI"
    30 सितम्बर 2018
    कहानी अच्छी है और उसका प्रवाह भी बहुत बढ़िया है।
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    19 सितम्बर 2018
    अच्छी लगी. सच हैं कभी-कभी कितनी छोटी-छोटी बातों पर ्विश्वास करके जबरन अपना सुख-चैन खत्म कर लेते हैं.
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    Vipin Sahu "Vip"
    03 अक्टूबर 2018
    ये बात सच है अक्सर हम भविष्य को जानने के चक्कर में वर्तमान खराब कर लेते हैं