जलाओ जलाओ जलाओ जी होली । जी भर के खेलो , रंगों की रंगोली ।। भरम में न समझे,जला घर किसी का । बहन जल गई, जो रही मुँह की बोली ।। हर तरफ देखकर आग,पूछा किसी ने । जली है चिता या जली आज होली ।। ...
मैं सेवा निवृत्त शिक्षक हूँ । व्याख्याता पद से सेवानिवृत्त होने के बाद स्वाध्याय में मेरी विशेष रुचि है । मुझे आध्यात्मिक विचार धारा के व्यक्ति अधिक पसंद हैं । मैं स्वयं कष्ट झेल कर , दूसरों में खुशियाँ बाँट कर , सुख का अनुभव करने में विश्वास रखना चाहता हूँ ।जीवन के शेष बचे हुए दिन ईश्वर का सानिध्य प्राप्त करने में लगाना चाहता हूँ ।
सारांश
मैं सेवा निवृत्त शिक्षक हूँ । व्याख्याता पद से सेवानिवृत्त होने के बाद स्वाध्याय में मेरी विशेष रुचि है । मुझे आध्यात्मिक विचार धारा के व्यक्ति अधिक पसंद हैं । मैं स्वयं कष्ट झेल कर , दूसरों में खुशियाँ बाँट कर , सुख का अनुभव करने में विश्वास रखना चाहता हूँ ।जीवन के शेष बचे हुए दिन ईश्वर का सानिध्य प्राप्त करने में लगाना चाहता हूँ ।
वाह पापाजी 👋👋👋
बहुत सुंदर 👍👍👍
कटाक्ष भरी सत्य बाते कही है , न जाने कहां जल रही है होली
घर में , दिल में या किसी की अर्थी में .... बेहतरीन 👌👌👌
प्रणाम पापाजी 🙏🙏🙏
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