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होली

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जलाओ जलाओ जलाओ जी  होली । जी  भर  के  खेलो , रंगों  की  रंगोली ।। भरम में न समझे,जला घर किसी का । बहन जल गई, जो रही मुँह की बोली ।। हर तरफ देखकर आग,पूछा किसी ने । जली  है  चिता या जली आज  होली ।। ...

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लेखक के बारे में
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Chhotelal Shukla

मैं सेवा निवृत्त शिक्षक हूँ । व्याख्याता पद से सेवानिवृत्त होने के बाद स्वाध्याय में मेरी विशेष रुचि है । मुझे आध्यात्मिक विचार धारा के व्यक्ति अधिक पसंद हैं । मैं स्वयं कष्ट झेल कर , दूसरों में खुशियाँ बाँट कर , सुख का अनुभव करने में विश्वास रखना चाहता हूँ ।जीवन के शेष बचे हुए दिन ईश्वर का सानिध्य प्राप्त करने में लगाना चाहता हूँ ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Bhagwati Ramanandi "भागु"
    05 मार्च 2023
    वाह पापाजी 👋👋👋 बहुत सुंदर 👍👍👍 कटाक्ष भरी सत्य बाते कही है , न जाने कहां जल रही है होली घर में , दिल में या किसी की अर्थी में .... बेहतरीन 👌👌👌 प्रणाम पापाजी 🙏🙏🙏
  • author
    PRAMOD PARWALA
    06 मार्च 2023
    "हँसें थैलियाँ और रोती हे झोली" वाह क्या कटु सत्य लिखा है आपने भाई जी।बहुत सच्ची और सुंदर रचना।
  • author
    Pushpa notiyal
    05 मार्च 2023
    वाह वाह वाह बड़े भैय्या जी बहुत सुंदर जयश्रीकृष्ण ⚘️🙏⚘️👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👍🍫
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    Bhagwati Ramanandi "भागु"
    05 मार्च 2023
    वाह पापाजी 👋👋👋 बहुत सुंदर 👍👍👍 कटाक्ष भरी सत्य बाते कही है , न जाने कहां जल रही है होली घर में , दिल में या किसी की अर्थी में .... बेहतरीन 👌👌👌 प्रणाम पापाजी 🙏🙏🙏
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    PRAMOD PARWALA
    06 मार्च 2023
    "हँसें थैलियाँ और रोती हे झोली" वाह क्या कटु सत्य लिखा है आपने भाई जी।बहुत सच्ची और सुंदर रचना।
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    Pushpa notiyal
    05 मार्च 2023
    वाह वाह वाह बड़े भैय्या जी बहुत सुंदर जयश्रीकृष्ण ⚘️🙏⚘️👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👍🍫