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हॉ आज फिर तुम्हारी याद आ रही है

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न मैं अच्छा हु और न ही मैं अच्छा दिखता हु बस बिखरे हुए जज्बातो को कागज पर लिखता हूं हॉ आज फिर तुम्हारी याद आ रही है लग रहा है कि तुम्हे आकर गले से लगा लू कैसे कट रहे है मेरे दिन सब तुझे बताउ ...

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लेखक के बारे में
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Suraj Gupta
समीक्षा
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  • author
    Dheeru Vishwakarma
    11 फेब्रुवारी 2021
    बहुत मुश्किल है यादों के पलों को फिरोए रखना फिर भी मुमकिन है किसी और को अपना बनाए रखना।
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    Dheeru Vishwakarma
    11 फेब्रुवारी 2021
    बहुत मुश्किल है यादों के पलों को फिरोए रखना फिर भी मुमकिन है किसी और को अपना बनाए रखना।