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हिस्सा

3.7
1347

पापा की रिटायरमेंट पार्टी के बाद दोनों भाई अपने अपने घर जाने की तैयारी करने लगे। बड़े के हिस्से में पापा और छोटे के हिस्से में माँ आयी। तुम्हे पता है माँ का स्वास्थ्य ठीक नही रहता, और महानगरों में इलाज कितना महंगा है फिर भी माँ को साथ ले जाने तैयार हो गयीं। आजकल मेट्रोज में ऑलटाइम विश्वसनीय मेड मिलना कितना मुश्किल है, और हमारा बेबी भी तो छोटा है, समझदार छोटी बहू ने आंखे घुमाते हुये कहा। ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shekhar Bhardwaj
    12 मार्च 2018
    कोई मां को मेड से कंपेयर करै और बेटा चुप रहे ... धिक्कार है ऐसी औलाद को।।पर कहानी आज की सच्चाई बयां करती है।
  • author
    Aditya Dubay
    19 मई 2021
    ऐसी सोच को appreciate नहीं किया जाना चाहिए
  • author
    Atheist Klaus
    18 मई 2021
    some plot is copied from baghban movie
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shekhar Bhardwaj
    12 मार्च 2018
    कोई मां को मेड से कंपेयर करै और बेटा चुप रहे ... धिक्कार है ऐसी औलाद को।।पर कहानी आज की सच्चाई बयां करती है।
  • author
    Aditya Dubay
    19 मई 2021
    ऐसी सोच को appreciate नहीं किया जाना चाहिए
  • author
    Atheist Klaus
    18 मई 2021
    some plot is copied from baghban movie