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हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई

3.6
297

हिन्दु, मस्लिम, सिख, ईसाई, सभी भारतीय भाई-भाई, यही यहाँ की है सच्चाई, तेरी मेरी क्या लड़ाई, चलो प्यार से मिलें ओ भाई, दिलों दिलों की यही सच्चाई, बाकी सब बस भूल-भलाई। अब दुनिया को जितना है, अपने ...

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लेखक के बारे में
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Prof. Satish Agarwal

एन.आई.टी. राउरकेला से जून 2017 में केमिकल ईन्जिनियरीगं डिपार्टमेंट से 35 साल सर्विस के बाद रिटायर हुआ। कविताएँ लिखना करीब सन् 2000 से प्रभू इच्छा से शुरू हुआ। अब तक 100 से ज़्यादा कवाताएँ लिख पाया हूँ। पर छपने का खास मौका न मिल सका। कुछ इक्का-दुक्का ज़रूर छपती रहीं। मई 2018 में "काव्य कलश:काव्य संग्रह" के नाम से मेरी 51 चुनी हुई कविताएँ ईबुक के रूप में "वर्जिन साहित्यपीठ" ने प्रकाशित की हैं। यह "गूगल बुक्स पले स्टोर" और "एमेज़ोन.काॅम" पर उपलव्ध हैं। यह कविता भी इस किताब में है। धन्यबाद (प्रो.सतीश तुलसी)

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Tushar Kapur
    05 मई 2021
    गुड
  • author
    Balwan Joiya
    29 दिसम्बर 2019
    Nice
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    Tushar Kapur
    05 मई 2021
    गुड
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    Balwan Joiya
    29 दिसम्बर 2019
    Nice