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हिन्दी

हिंदू जाति का स्वाभाविक गुण

4.1
338

गीता में भगवान कृष्‍णचंद्र ने गुण कर्म के विभाग पर बड़ा जोर दिया और सिद्ध कर दिया है कि मानव जाति का बनना बिगड़ना सत्‍व रज तम इन गुण और सात्विकी राजसी तामसी इन तीन प्रकार के कर्म पर निर्भर है। ...

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लेखक के बारे में

पंडित बाल कृष्ण भट्ट हिन्दी के एक प्रसिद्ध पत्रकार, नाटककार एवं निबंधकार थे, ये गद्य प्रधान आधुनिक हिन्दी कविता की नींव रखने वेल रचनाकारों में गिने जाते हैं। भट्ट जी एक अच्छे एवं सफल पत्रकार तो थे ही, उन्होंने "सौ अजान एक सुजान", "रेल का विकट खेल", "नूतन ब्रह्मचारी", "बाल विवाह" तथा "भाग्य की परख" आदि अनेक पुस्तकें भी लिखी हैं।

समीक्षा
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    गीत हैऽॐ पर ग़ज़ल नहीं ! सीत है पर ऽॐ ज़ग़ल नहीं ! पित्र है पर ऽॐ चित्रल नहीं ! मित्र है पर ऽॐ पित्रर नहीं ! रित-रिवाज पर ऽॐ नित लिबाप नहीं ! स्टालिंग कुमार यादव
  • author
    Pravesh soni
    23 दिसम्बर 2020
    बहुत खूब 👌
  • author
    शेखर शिवम
    24 अक्टूबर 2020
    Achha hai
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    गीत हैऽॐ पर ग़ज़ल नहीं ! सीत है पर ऽॐ ज़ग़ल नहीं ! पित्र है पर ऽॐ चित्रल नहीं ! मित्र है पर ऽॐ पित्रर नहीं ! रित-रिवाज पर ऽॐ नित लिबाप नहीं ! स्टालिंग कुमार यादव
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    Pravesh soni
    23 दिसम्बर 2020
    बहुत खूब 👌
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    शेखर शिवम
    24 अक्टूबर 2020
    Achha hai