pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

हिंदी साहित्य का अखाड़ा

3.7
936

<p style="text-align: justify;"><strong>DISCLAIMER: इस कहानी में उपयुक्त हुए नाम, संस्थाए, जगह, घटनाएं इत्यादि का उपयोग सिर्फ और सिर्फ कहानी को मनोरंजक बनाने के लिए किया गया है। किसी भी व्यक्ति ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

Name : Vijay Kumar Sappatti Education : MBA, PG-HRD, PG-MKTG, DEGREE-Economics &amp; English Literature, DIPLOMA in Mining Engineering Job : Marketing Consultant Publications : Two books in Hindi &ndash; one for poetry and one for stories Poetry &ndash; &ldquo; Ujale Chaand Kee Beceni &ldquo; Story- &ldquo; Ek Thi Maaya &ldquo; Many poems and stories published in various national and international magazines [ both in print &amp; electronic medium ] Major Blogs Poems &ndash; http://frozenmomentsoflifetime.blogspot.in ,Writings - http://thewritingonwall.blogspot.in

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    23 फ़रवरी 2020
    साहित्यकार और साहित्य की दुनिया, जितनी लपटीली राह इसकी, बात समझना और समझाना भी उतना ही मुश्किल है।
  • author
    23 मई 2022
    आपने अच्छा लिखा है । लेकिन भाषणबाजी ज़रा लंबी हो गयी है। ये वो जमाना है मित्र जिसमें समाज में साहित्य हाशिए पर है। आपको लगता है तो लिखते रहिये। पढ़ने वाले कम होते होते इतने कम हो गये कि पत्र पत्रिकायें बंद हो गयीं। साहित्य का पन्ना गायब हो गया। अब देखिए हम लोग भी तो"कागज" की ज़मीन छोड़ कर "हवा" में उड़ रहे हैं। देखते हैं क्या होता है़.......
  • author
    English with Bharat Arora
    13 जून 2021
    बहुत ही अच्छा लिखा है वास्तव में एक संघर्षरत साहित्यकार ही इस तरह की बातें लिख सकता है जरूर आप इसी प्रक्रिया से गुजरे होंगे
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    23 फ़रवरी 2020
    साहित्यकार और साहित्य की दुनिया, जितनी लपटीली राह इसकी, बात समझना और समझाना भी उतना ही मुश्किल है।
  • author
    23 मई 2022
    आपने अच्छा लिखा है । लेकिन भाषणबाजी ज़रा लंबी हो गयी है। ये वो जमाना है मित्र जिसमें समाज में साहित्य हाशिए पर है। आपको लगता है तो लिखते रहिये। पढ़ने वाले कम होते होते इतने कम हो गये कि पत्र पत्रिकायें बंद हो गयीं। साहित्य का पन्ना गायब हो गया। अब देखिए हम लोग भी तो"कागज" की ज़मीन छोड़ कर "हवा" में उड़ रहे हैं। देखते हैं क्या होता है़.......
  • author
    English with Bharat Arora
    13 जून 2021
    बहुत ही अच्छा लिखा है वास्तव में एक संघर्षरत साहित्यकार ही इस तरह की बातें लिख सकता है जरूर आप इसी प्रक्रिया से गुजरे होंगे