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4.0
2840

शाम ढल चुकी थी। मन मे एक कौतुहल लिए घरवाले उसका इतंजार कर रहे थे। किन्तु उदाशी के साथ उसके घर मे प्रवेश करते ही हर चेहरे से वह कौतुहल गायब हो गया। कमल कुर्सी खींचकर बैठ गया और छोटी बहन पानी देकर बगल ...

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लेखक के बारे में
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गोपेश शुक्ल

गोपेश आर शुक्ल प्रयागराज उत्तर प्रदेश

समीक्षा
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  • author
    29 नवम्बर 2018
    बाकी सब बहुत अच्छा लिखा ।थोड़ी सी वर्तनी गड़बड़ है।
  • author
    Radhey Shyam
    23 सितम्बर 2017
    उगता सुरज
  • author
    [email protected]
    25 जुलाई 2017
    अति सुन्दर रचना
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    29 नवम्बर 2018
    बाकी सब बहुत अच्छा लिखा ।थोड़ी सी वर्तनी गड़बड़ है।
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    Radhey Shyam
    23 सितम्बर 2017
    उगता सुरज
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    25 जुलाई 2017
    अति सुन्दर रचना