बाकी भाषाओं का तो वे जाने हिन्दी के लेखकों के साथ तो मुझे लगता है ऐसी स्थिति आ ही गई होगी जो मेरे साथ है। कहानियों की कोई कमी नहीं है। जल में तैरती ,भागती मछलियों की तरह। अनगिनत। ठीक वैसे जैसे जहां ...
बाकी भाषाओं का तो वे जाने हिन्दी के लेखकों के साथ तो मुझे लगता है ऐसी स्थिति आ ही गई होगी जो मेरे साथ है। कहानियों की कोई कमी नहीं है। जल में तैरती ,भागती मछलियों की तरह। अनगिनत। ठीक वैसे जैसे जहां ...