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हिन्दी

हिंदी में क्‍यों लिखूं?

4.1
223

बाकी भाषाओं का तो वे जाने हिन्‍दी के लेखकों के साथ तो मुझे लगता है ऐसी स्थिति आ ही गई होगी जो मेरे साथ है। कहानियों की कोई कमी नहीं है। जल में तैरती ,भागती मछलियों की तरह। अनगिनत। ठीक वैसे जैसे जहां ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    10 सितम्बर 2016
    आपने सच को बिलकुल खोलकर रख दिया है। हिन्दी की ऐसी दशा होने पर भी कुछ सिरफिरे लोग हिंदी में लिखने में मस्त हैं। चलिये उन्हीं में शामिल हो जाया जाय। कोई नहीं छापा, तो इन्टरनेट पर डाल देंगें अपने सपने को, जैसे कोई अनाथाश्रम में अपने बच्चे को छोड़ आता है।
  • author
    10 सितम्बर 2016
    दुर्भाग्य मेरे देश का कोई हिंदी नेता न हुआ अनग्रेजो के चमचे अंग्रेजी का जामापहनागए हम खुद से पञ्चतन्त्र को भुलाते गये। उत्तम लेखन हेतु बधाई
  • author
    05 अगस्त 2021
    बहुत ही सही कहा जी.... बहुत कचोटता भी है मन को.. पर इसका तो यही इलाज लगता है कि.. अब क्या किया जाए.. दूसरे को क्या दोष दिया जाये.. शुरुआत स्वयं से ही हो.. जितना ज्यादा हो सके पूरे स्वाभिमान से उसे बोला जाए और सराहा जाये.. और यदि अच्छा लिख सकते है तो लिखकर आगे बढ़ाया जाये... अपने ही आसपास उसके लिए माहौल बनाया जाये.... अच्छी रचना👏👏👌
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    10 सितम्बर 2016
    आपने सच को बिलकुल खोलकर रख दिया है। हिन्दी की ऐसी दशा होने पर भी कुछ सिरफिरे लोग हिंदी में लिखने में मस्त हैं। चलिये उन्हीं में शामिल हो जाया जाय। कोई नहीं छापा, तो इन्टरनेट पर डाल देंगें अपने सपने को, जैसे कोई अनाथाश्रम में अपने बच्चे को छोड़ आता है।
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    10 सितम्बर 2016
    दुर्भाग्य मेरे देश का कोई हिंदी नेता न हुआ अनग्रेजो के चमचे अंग्रेजी का जामापहनागए हम खुद से पञ्चतन्त्र को भुलाते गये। उत्तम लेखन हेतु बधाई
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    05 अगस्त 2021
    बहुत ही सही कहा जी.... बहुत कचोटता भी है मन को.. पर इसका तो यही इलाज लगता है कि.. अब क्या किया जाए.. दूसरे को क्या दोष दिया जाये.. शुरुआत स्वयं से ही हो.. जितना ज्यादा हो सके पूरे स्वाभिमान से उसे बोला जाए और सराहा जाये.. और यदि अच्छा लिख सकते है तो लिखकर आगे बढ़ाया जाये... अपने ही आसपास उसके लिए माहौल बनाया जाये.... अच्छी रचना👏👏👌