नब्बे के दशक में घर पर टेलीफोन का होना एक स्टेटस सिंबल था, और वो भी दिल्ली में I मुझे अभी तक याद है की मुझसे मिलने के बाद दो सज्जनों ने मुझे अगले ही दिन सिर्फ़ ये देखने के लिए फ़ोन किया था कि जो ...
उस व्यक्ति का पेंच ढीला नहीं था। तमिल, तेलगू, मलियाली लोग हिंदी से घृणा करते हैं। तभी तो सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनने का विरोध किया था संसद में। नेहरू ने उनकी बात मान ली साथ ही उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस घोषित कर उन्हें पुरस्कार भी दिया क्योंकि उन्होने हिंदी को नीचा दिखाया था इसलिए।
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mtlb wo aadmi hr baat m khud ko behtar sabit krna chahta tha.... jb or kuch nhi mila to bacchon k piche hi sunana shuru ho gya.... hota h kbhi kbhi humare saath.... mil jata h koi Dukhiyaaraa jo dooosre ko dukhi krke khush ho jata h...
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