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हिन्दी

हिंदी की गरिमा

4.9
364

हिंदी का अस्तित्व तत्वमय, अक्षय इसका स्वर भण्डार स्वयं कृष्ण गीता में कहते, अक्षरों में हूँ अमर 'अकार ' हिंदी के सारे स्वर-व्यंजन, में स्पंदित दिव्य 'अकार' वायु बिन जस प्राण नहीं तस, बिन 'अकार' ...

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लेखक के बारे में

जन्म: 07 अक्तूबर 1951 जन्म स्थान: पूरनपुर, जिला पीलीभीत, उत्तर प्रदेश, भारत श्रीमद भगवद्गीता का ब्रज भाषा में काव्यात्मक अनुवाद, 2001 सामवेद का हिन्दी पद्यानुवाद 1988 ईशादि नौ उपनिषदों का काव्यात्मक अनुवाद इहातीत क्षण- दार्शनिक गद्य-काव्य, 1991 अष्टावक्र गीता- गीतिका छंद, 2006 पातंजलि योग दर्शन- हिन्दी व्याख्यात्मक काव्यानुवाद सम्पूर्ण वैदिक यज्ञ के मंत्र काव्य में हरिगीतिका छंद में रूपांतरित श्री आदिगुरु शंकराचार्य की प्रमुख प्रसिद्ध कृतियों का दोहे और चौपाई छंद में काव्य रूपांतरण- अपरोक्षानुभूति, आत्म-बोध, भज गोविन्दम, धन्याष्ट्कं, मनीषा पँचकम् आदि श्री वल्लभाचार्य का - मधुराष्ट्रकम काव्य रूपांतरित श्री वल्लभाचार्य का - मधुराष्ट्रकम काव्य रूपांतरित एम.ए, हिन्दी में विशारद, वेदों पर शोधकार्य अनेकानेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भागीदारी, साहित्य अकादमी एवं आर्य लेखक कोश में नामांकित, विभिन्न पुस्तकों का विमोचन तत्कालीन राज्यपाल, प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति महोदय द्वारा किया गया. अनेक पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन इत्यादि पर साक्षात्कार, लेख, कवितायें इत्यादि प्रसारित होते रहते हैं

समीक्षा
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  • author
    Nand Kishore
    27 नवम्बर 2019
    आपकी रचनाओं की समीक्षा मेरी योग्यता से परे है। मैं तो आपकी रचनाओं को बार-बार पढना और उनसे बहुत कुछ सीखने व पाने की अभिलाषा रखता हूं । आप की अन्य रचनाओं को भी पढ़ना चाहता हूं ।प्रतिलिपि या अन्य किसी भी माध्यम से उन्हें पढ़ने के लिए आप का अनुग्रह चाहता हूं ।
  • author
    Nanak Chand
    05 फ़रवरी 2020
    अति उत्तम, एक हिन्दी का दोहा मेरा भी, मैं हिन्दी में इतना निपुण नहीं हूँ। चंचल, चितवन, चपल -चित, चलत चलावंन चाल। अधर -पुष्प, नैंनन-कमल, केश समान व्याल। 🌻🌻🌻🌻🌻
  • author
    Sweta Pant "Seemu"
    28 अगस्त 2022
    वाह वाह वाह अति सुंदर पंक्तियां 👌👌👌 कृपया मेरी रचनाओं को पढ़कर अपनी राय प्रदान कीजिएगा
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    Nand Kishore
    27 नवम्बर 2019
    आपकी रचनाओं की समीक्षा मेरी योग्यता से परे है। मैं तो आपकी रचनाओं को बार-बार पढना और उनसे बहुत कुछ सीखने व पाने की अभिलाषा रखता हूं । आप की अन्य रचनाओं को भी पढ़ना चाहता हूं ।प्रतिलिपि या अन्य किसी भी माध्यम से उन्हें पढ़ने के लिए आप का अनुग्रह चाहता हूं ।
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    Nanak Chand
    05 फ़रवरी 2020
    अति उत्तम, एक हिन्दी का दोहा मेरा भी, मैं हिन्दी में इतना निपुण नहीं हूँ। चंचल, चितवन, चपल -चित, चलत चलावंन चाल। अधर -पुष्प, नैंनन-कमल, केश समान व्याल। 🌻🌻🌻🌻🌻
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    Sweta Pant "Seemu"
    28 अगस्त 2022
    वाह वाह वाह अति सुंदर पंक्तियां 👌👌👌 कृपया मेरी रचनाओं को पढ़कर अपनी राय प्रदान कीजिएगा